बकरीद पर समय से पहले सैलरी पर गरमाई राजनीति.

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सिटी पोस्ट लाइव : 29 जून को होनेवाले बकरीद पर्व को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को जून महीने का वेतन समय से पहले 28 जून को देने का बड़ा निर्णय लिया था. लेकिन बकरीद को देखते हुए बिहार में जून महीने की सैलरी समय से पहले दिए जाने के बिहार सरकार के फैसले को लेकर सियासी बवाल मच गया है. बीजेपी तुष्टिकरण करार दे रही है.बीजेपी  प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि बकरीद को लेकर तय समय से पहले वेतन भुगतान से पार्टी को ऐतराज नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार को होली और दशहरा क्यों नहीं याद रहता है. यह सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति है.

 

JDU  के प्रवक्ता अभिषेक ने कहा कि इससे पहले भी होली, दिवाली और दशहरे के कई ऐसे मौके आए हैं जब समय से पहले सैलरी दी गई है. बीजेपी  धर्म की राजनीति करती है और जनता को बरगलाती है. नीतीश कुमार की नीति साफ है कि हम सभी धर्मों और पर्वों का सम्मान करते हैं.RJD  के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पर्वों-त्योहारों में सरकार की जिम्मेवारी होती है कि कर्मियों के वेतन की व्यवस्था सुनिश्चित करे. बीजेपी  के लोग हर चीज में हिंदू-मुस्लिम करते हैं. इनकी मानसिकता पर तरस आती है.

 

गौरतलब है  कि आम तौर पर सैलरी महीने की 30 या 31 तारीख की जाती है, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने बजाप्ता नोटिस जारी कर एडवांस सैलरी जारी करने का आदेश दिया था. दरअसल, बिहार में 3.30 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं पेंशनधारियों की संख्या भी करीब करीब इतनी ही है. सरकार के इस फैसले से पेंशन धारियों को भी यह लाभ मिलेगा. बिहार सरकार ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. हर पर्व के मौके पर कर्मचारियों का वेतन भुगतान समय से पहले किया जाता रहा है. खासतौर पर जब कोई पर्व महीने के अंतिम सप्ताह में हो. इसके पहले ही होली दीवाली और छठ जैसे महापर्व पर भी सरकार ने एडवांस सैलरी रिलीज की है.

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