भाई बिरेन्द्र को लालू-तेजस्वी ने दे दिया बड़ा इनाम.

मीसा भारती की जीत में खेला था दांव, विधानसभा की लोकलेखा समिति का बनवा दिया सभापति.

सिटी पोस्ट लाइव : आख़िरकार लम्बे इंतज़ार के बाद आरजेडी के मनेर विधायक भाई वीरेंद्र को पार्टी से सम्मान मिल गया है.मीसा भारती की पाटलिपुत्र में बड़ी जीत में अहम् भूमिका निभानेवाले भाई बिरेन्द्र को तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav)  बड़ा तोहफा दिया है. उन्हें विधानसभा की लोकलेखा समिति (पब्लिक एकाउंटस कमेटी) का सभापति बनवा दिया है. पार्टी चाहती तो यह पद राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को भी मिल सकता था.

भाई वीरेंद्र (Bhai Virendra) ने राजद के टिकट पर पहली बार 2010 में मनेर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी.उन्होंने जेडीयू  उम्मीदवार श्रीकांत निराला को करीब साढ़े नौ हजार वोट से पराजित करते हुए सीट अपने नाम की थी. इसके बाद 2015 में भी भाई वीरेंद्र ने एक बार फिर यहां से श्रीकांत निराला को 22828 वोटों से पराजित किया. श्रीकांत निराला इस बार भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मनेर से उम्मीदवार थे. लेकिन भाई वीरेंद्र के आगे उनकी एक नहीं चली और वे पराजित रहे.

2020 के विधानसभा चुनाव में मनेर विधानसभा सीट पर राजद के विजय रथ को रोकने का जिम्मा पार्टी के वरिष्ठ नेता निखिल आनंद को दिया, लेकिन भाई वीरेंद्र के आगे निखिल आनंद की भी नहीं चली. भाई वीरेंद्र ने तीसरी बार मनेर विधानसभा सीट से 61 हजार मतों से जीत हासिल की. प्रत्येक चुनाव के बाद विरोधियों को पराजित करने में भाई वीरेंद्र की जीत का अंतर बड़ा होता गया.

दूसरी ओर पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में लालू प्रसाद की पुत्री डा. मीसा भारती तमाम कोशिशों के बाद भी जीत नहीं पा रही थी. हालांकि भाई वीरेंद्र बीते तीन लोकसभा चुनाव के दौरान मीसा भारती की जीत के लिए लगातार चुनाव मैदान में डटे रहे.आखिर 10 वर्षो की मेहनत के बाद मीसा भारती पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर हुए चुनाव में प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव को पराजित करने में सफल रही. मीसा भारती के लोकसभा पहुंचते ही पार्टी ने भाई मनेर को बड़ा तोहफा देने का निर्णय लिया. उन्हें लोकलेखा समिति का सभापति पद दिलावा दिया. यह पद प्रतिपक्ष के पास होता है. इस पद पर तेज प्रताप की उम्मीदवारी की भी चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने तेज प्रताप की अपेक्षाकृत भाई वीरेंद्र पर ज्यादा भरोसा जताया.

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