लालू परिवार: जब राजनीति में भाई-बहन में खींची दीवारें….

सिटी पोस्ट लाइव : आज रक्षाबंधन का त्यौहार है. आज के दिन बहाने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं.भाई बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं. बिहार की सियासत की एक ऐसी भी कहानी है, जिसने भाई-बहनों के बीच दरार डाल दी है. कहानी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके भाई साधु यादव और  सुभाष  यादव की है. इस राखी पर भी न तो राबड़ी देवी ने साधु यादव और सुभाष  यादव को राखी बांधने का बुलावा भेजा है और न साधु यादव और सुभाष  यादव उनके आवास जा रहे हैं.

पूर्व सांसद साधु यादव फिलहाल दिल्ली में हैं. उन्होंने  बताया कि 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही राबड़ी देवी ने उन्हें राखी नहीं बांधी और न ही वे उनसे राखी बंधवाने कभी गए.बात 2009 की है, जब साधु यादव ने राजद का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया. तभी से ही राबड़ी और साधु के रिश्ते में खटास आनी शुरू हो गई थी. वहीं से भाई-बहन के बीच रक्षाबंधन का त्योहार जैसे खत्म हो गया.दरअसल, साधु यादव बेतिया से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन तालमेल की वजह से राजद ने यह सीट लोजपा को दे दिया था. लोजपा ने इस सीट से फिल्म निर्माता प्रकाश झा को मैदान में उतारा.

सुभाष  यादव को भी बहन राबडी देबी से राखी बंधवाने का इंतज़ार नहीं है.वो पटना में हैं लेकिन राबडी देबी से राखी बंधवाने नहीं पहुंचे.गौरतलब है कि एक जमाने में साधू  यादव   जब राबडी देबी के ख़ास हुआ करते थे तब सुभाष यादव लालू यादव के ख़ास चहेते थे.लेकिन दोनों की वजह से होनेवाली बदनामी की वजह से लालू यादव और राबडी देबी ने दुरी बना ली.लालू राबडी राज में दोनों भाइयों की टूटी बोलती थी.लेकिन पिछले 10 साल से राबडी आवास में इनकी इंट्री बंद है.

RABRI DEVI