INDIA या NDA किसके लिए चुनौती बनेगें प्रशांत किशोर?

सिटी पोस्ट लाइव : प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान अब एक राजनीतिक दल का रूप ले चूका है.अपनी पार्टी के लौंचिंग समारोह में अपना राजनीतिक दमखम दिखा चुके प्रशांत किशोर आगामी विधान सभा चुनाव में किस दल के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनेगें? ये सवाल हर किसी के जेहन में उठ रहा है.लेकिन प्रशांत किशोर की रणनीति को देखते हुए अभी ये तय कर पाना मुश्किल है कि उनके राजनीति में आने से किस दल को सबसे ज्यादा नुकशान होगा.प्रशांत किशोर के निशाने पर तो तेजस्वी यादव हैं अब चिराग पासवान की चुनौती भी बढ़ गई है.प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी की बागडोर एक पासवान नेता मनोज भारती के हाथ में सौंप दिया है.

 

प्रशांत किशोर का ध्यान दलित- पिछड़े और अति-पिछड़े समाज के साथ साथ अल्पसंख्यक समाज पर है.अपनी पार्टी का पहला प्रदेश अध्यक्ष एक पासवान को बनाकर उन्होंने चिराग पासवान की चुनौती बढ़ा दी है.प्रशांत किशोर फ्रंट फूट पर पिछड़े, अति-पिछड़े समाज के लोगों को रखकर आगे बढ़ रहे हैं जिसका वोट अबतक बीजेपी और नीतीश कुमार के खाते में जाता रहा है.यादवों को भी उन्होंने नजर-अंदाज नहीं किया है.अल्पसंख्यकों को उनकी आबादी के हिसाब से राजनीतिक भागेदारी देने की बात वो लगातार कर रहे हैं.जाहिर है प्रशांत किशोर किसी एक दल को टारगेट नहीं कर रहे.उनके निशाने पर सभी स्थापित दल हैं.

अल्पसंख्यक समाज के बीच जन सुराज को लेकर बढ़ते आकर्षण से सबसे ज्यादा नुकशान तेजस्वी यादव को होगा. जबकि पिछडो और अति-पिछड़े के जन सुराज से जुड़ने से सबसे ज्यादा नुकशान नीतीश कुमार और बीजेपी को होगा.गैर-यादव पिछड़ा समाज जो लालू यादव को पसंद नहीं करता है और आज बीजेपी-जेडीयू के साथ है, उसे जन सुराज एक बेहतर विकल्प के रूप में दिखाई दे सकता है.अति-पिछड़ों को भी यादव समाज से परहेज है और इसी वजह से वो या तो नीतीश कुमार के साथ है या फिर बीजेपी के साथ.अब अति-पिछड़े समाज को भी जन सुराज एक बेहतर विकल्प के रूप में दिखाई दे सकता है.

 

जहांतक मुसलमान की बात है वो भले एकसाथ जन सुराज का साथ न दे लेकिन जहाँ आरजेडी से जन सुराज मजबूत दिखेगा वहां बीजेपी को हारने के लिए मुस्लिम समाज जन सुराज के पक्ष में गोलबंद हो जाएगा.प्रशांत किशोर को ये बखूबी पता है कि बिहार की राजनीति में उनका दल तभी कमाल दिखा पायेगा जब पीछा- अति पिछड़ा समाज खुलकर उनके पक्ष में गोलबंद हो जाएगा.यहीं वजह है कि प्रशांत किशोर का सबसे ज्यादा जोर इन्हीं दो वोट बैंक पर है.उनकी सभा में सबसे ज्यादा पिछड़े और अति-पिछड़ समाज के लोग ही नजर आते हैं.जाहिर है आगामी विधान सभा चुनाव में प्रशांत किशोर सभी स्थापित दलों के लिए चुनौती बननेवाले हैं.लेकिन कितनी बड़ी चुनौती बन पायेगें इसका ट्रेलर विधान सभा के उप-चुनाव में ही दिखाई दे देगा.