लाल हरा मैत्री’ से भगवा को पछाड़ने की हेमंत की तैयारी.

सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand assembly elections) को लेकर नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत हो गयी है. एनडीए में सीटों के बंटवारे पर फैसला हो चुका है. कांग्रेस ने भी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है.बीजेपी के कई पूर्व विधायकों के JMM में आने के बाद आज हेमंत सोरेन JMM उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इसबार जेएमएम, भाकपा माले और कांग्रेस सीटों को लेकर सहमती बन गई है.इस चुनाव में लंबे समय के बाद जेएमएम और वामदल एक मंच पर आते दिख रहे हैं. झारखंड में 4 दशक के बाद लाल हरा मैत्री देखने को मिल रही है. अंतिम बार 1985 के विधानसभा चुनाव में ऐसा गठजोड़ देखने को मिला था.

हेमंत सोरेन ने लंबे समय के बाद गठबंधन के लिए ऐसे दलों को तरजीह दी है. जिनके साथ एक दौर में जेएमएम के अच्छे रिश्ते रहे थे. झारखंड में जेएमएम इस चुनाव में भाकपा माले के लिए 4-5 सीट छोड़ने के लिए लगभग तैयार है.  भाकपा माले 2019 के चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा नहीं रही थी. हाल ही में भाकपा माले में झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली ए.के. रॉय की पार्टी मासस का विलय हुआ है. जिसके बाद उसके आधार वोट में मजबूती आयी है. ये ऐसे दल हैं जो लंबे समय तक जेएमएम को बिना शर्त समर्थन करते रहे हैं.

झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना ए.के. रॉय, बिनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन ने की थी. उस दौरान मार्क्सवादी समन्वय समिति के तौर पर एक राजनीतिक दल अस्तित्व में था और जेएमएम की स्थापना दवाब समूह के तौर पर हुई थी. बाद के दिनों में जेएमएम की संसदीय राजनीति में एंट्री हुई लेकिन मार्क्सवादी समन्वय समिति और जेएमएम के कैडर लगभग एक ही रहे. चुनावों में दोनों दल एक ही सिंबल पर चुनाव लड़ते थे. इस गठजोड़ ने अविभाजित बिहार के झारखंड हिस्से में अच्छी सफलता पायी थी. 1985 के विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर जेएमएम और मासस के उम्मीदवारों को जीत मिली थी. एक बार फिर हेमंत सोरेन ने पुराने गठजोड़ को वापस लाया है. इस गठजोड़ को देश भर में ‘लाल हरा मैत्री’ के नाम से जाना जाता था.

हेमंत सोरेन के दांव से बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है. सिंदरी, निरसा, राजधनवार, बगोदर, चंदनक्यारी सहित कई ऐसी सीटें हैं जहां पिछले चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी. हालांकि पिछले चुनाव में लेफ्ट पार्टी के साथ जेएमएम का गठबंधन नहीं था. जिस कारण बीजेपी को बेहद कम अंतर से इन सीटों पर जीत मिली थी. अब इस गठजोड़ के बाद लगभग 10 ऐसी सीटें हैं जहां बीजेपी प्रत्याशियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.  झारखंड में 2 चरण में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण में 43 सीटों पर 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. वहीं दूसरे चरण में 20 नवंबर को 38 सीटों पर मतदान होंगे. 23 नवंबर को मतो की गणना होनी है. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जेएमएम कांग्रेस गठबंधन को जीत मिली थी.

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