तेज हुई अति पिछड़ा वोट बैंक की राजनीति.

 

सिटी पोस्ट लाइव :  बिहार में जातिगत गणना रिपोर्ट आने के बाद नीतीश सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ा देश की सियासत में हलचल तेज कर दी है. इसे लेकर बिहार की सियासत में भी सरगर्मी तेज है.बिहार में सबसे ज्यादा संख्या वाली जातियों को  अपने पाले में करने की कवायद तेज हो गई है. तमाम पार्टियों की नजरें अति पिछड़ा वोट बैंक पर टिक गई हैं. लेकिन, बीजेपी और जेडीयू इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने के लिए सबसे अधिक जोर लगा रही है.

 

बिहार में सबसे बड़ी आबादी के तौर पर उभरे अति पिछड़ा वोटरों पर तमाम सियासी दलों की निगाहें टिक गई है.इस वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए तमाम पार्टियों ने अपनी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है. लेकिन सबसे आक्रामक है बीजेपी और जेडीयू. जदयू ने तो अपने पार्टी के अति पिछड़ा नेताओं को अति पिछड़ा समाज में भेजने की तैयारी भी शुरू कर दी है.

 

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कहते हैं कि नीतीश कुमार ने ऐसे तो तमाम जातियों के लिए काम किया है. लेकिन, सबसे उन्होंने अति पिछड़ा समाज को सबसे अधिक बढ़ाया है. इस बार भी अति पिछड़ा समुदाय के लिए सबसे अधिक 25 प्रतिशत आरक्षण दिया है. इसीलिए जदयू ने तय किया है कि जदयू के अतिपिछड़ा नेता और कार्यकर्ता अतिपिछड़ा समाज में जाकर लोगों को बताएंगे कि नीतीश कुमार ने उनके लिए क्या किया है.  अति पिछड़ा वोट बैंक पर नीतीश कुमार की मजबूत पकड़ है और आरक्षण का दायरा बढ़ाने में सबसे ज्यादा ध्यान भी अति पिछड़ा समुदाय पर ही जदयू के तरफ से दिया गया है. यह वोट बैंक जदयू के साथ मजबूती से रहे पार्टी इसका पूरा ध्यान खने की कोशिश में है.

 

बीजेपी ने अति पिछड़ा, वोट बैंक पर ध्यान केन्द्रित कर दिया है.बीजेपी ने पहले जातिगत गणना में अति पिछड़ा की संख्या कम करने का आरोप लगाया. अब बीजेपी अति पिछड़ा के आरक्षण के दायरे को 25 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की मांग कर इस वोट बैंक को मैसेज देने की कोशिश में जुटी है.. सम्राट चौधरी प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी कहते हैं कि जातिगत गणना के बाद जो आबादी अति पिछड़ा की आई है उसके बाद अति पिछड़ा के लिए जो बिहार सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाया है. 25 प्रतिशत वो सही नहीं है बल्कि अति पिछड़ा की आबादी जो 36 प्रतिशत है उसके हिसाब से आरक्षण का दायरा 30 प्रतिशत प्रतिशत होना चाहिए.

 

इस बार अति पिछड़ा वोटर बेहद निर्णायक होने वाले हैं और दोनों पार्टियों जदयू और आरजेडी को पता है कि अति पिछड़ा ही वो वोट बैंक है जो आने वाले चुनाव मे बेड़ा पार लगा सकती है. इसी वजह से सदन की कार्रवाई खत्म होने के पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने अति पिछड़ा का आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग कर दी.अति पिछड़ा वोट पर आरजेडी की नजर भी है क्योंकि एक समय था जब इस वोट बैंक को लालू यादव का जिन्न कहा जाता था और इस जिन्न को जातिगत गणना और आरक्षण बढ़ाने के बाद आरजेडी अपने पाले में करने की कोशिश में लग गई है.

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