नीतीश कुमार के ‘चक्रव्यूह’ में फंस गई कांग्रेस?

I.N.D.I.A की बैठक से पहले नीतीश की बड़ी तैयारी, BJP को घेरने और CONG को कण्ट्रोल की रणनीति.

 

सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंबई में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A ( इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस ) की आगामी बैठक के पहले अगले साल होने वाले आम चुनाव को लेकर बड़ी रणनीति बनाई है. उन्होंने कहा है कि एक रणनीति के तहत सीट-बंटवारे जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहेंगे.नीतीश कुमार के अनुसार मुंबई बैठक में कुछ और नए दल भी शामिल होंगे.

सीट बंटवारे को इच्छुक नीतीश कुमार एक खास रणनीति के तहत करना चाहते हैं. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि नीतीश कुमार की नजर कांग्रेस पर भी है. वह जानना चाहते हैं कि कांग्रेस कितनी सीटों पर लड़ना चाहती है. खास कर हिंदी बेल्ट में और जहा क्षेत्रीय दल सरकार में हैं. इनमें हिंदी बेल्ट के तमाम राज्यों के अलावा बंगाल भी है. बिहार के संदर्भ में भी कई पेंच हैं. बिहार में पहली बार महागठबंधन के सात दल लोकसभा चुनाव में उतर रहे हैं. ऐसे में कौन सा सीट कौन लड़ना चाहता है, यह जानना जरूरी है. बिहार में कांग्रेस कितनी और कौन कौन सी सीट लड़ना चाह रही है, यह भी जानना जरूरी है.

नीतीश कुमार अपनी जीती हुई सभी  16 सीटों पर लड़ना चाहती है.RJD  के विधायकों की संख्या ज्यादा है, वह ज्यादा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ना चाह रही है.नीतीश कुमार इस रणनीति के भी माहिर हैं कि जहां अगर कोई सीट अन्य दल को चली गई तो वहा उम्मीदवार जदयू की तरफ से भी दे सकते हैं. जैस गत लोकसभा में सीतामढ़ी से जदयू ने सुनील कुमार पिंटू को लड़ाया. जबकि पिंटू भाजपा के विधायक और मंत्री भी रहे हैं. ऐसे कई उदहारण है विधानसभा में भी, जिसमे उम्मीदवार किसी दल का और टिकट किसी दल का. गत लोकसभा में चुने गए जदयू सांसद एनडीए के वोट बैंक से जीत हासिल किए हुए हैं. अब वे महागठबंधन के वोट बैंक में अपने को फीट पाते हैं, यह भी देख रहे होंगे. यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के पहले कई सांसद इधर से उधर जा सकते हैं. यह दावा महागठबंधन के नेता और एनडीए के नेता भी कर रहे हैं.

कांग्रेस 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लडना चाह रही है. नीतीश कुमार जानना चाहते हैं कि वहां से चुनाव लड़ने का आधार क्या बता रहे हैं. ऐसे कांग्रेस ने गत लोकसभा चुनाव में बिहार से किशनगंज लोकसभा सीट अपने हवाले कर ली थी. शेष लोकसभा जो कांग्रेस के टारगेट में है, उसके बारे में जानना भी जरूरी है. नीतीश कुमार यह भी जानना चाहते होंगे कि अन्य राज्यों में क्षेत्रीय दलों की भूमिका को कितना तरजीह दे रहे हैं. खास कर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बंगाल में.

नीतीश कुमार जानना चाहते हैं कि कांग्रेस पूरे भारत में कितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी और कितना अन्य दलों के हवाले करेगी. ऐसा इसलिए कि कई ऐसे दल हैं जिनसे एक समझौता के तहत नीतीश कुमार ने महागठबंधन से जोड़ने का काम किया है. ऐसे में किसी भी तरह की असहमति होने पर वे I.N.D.I.A से नाता तोड़ सकते हैं. दिल्ली, पंजाब, बंगाल के सत्ताधारी दलों को महागठबंधन से जोड़ने का काम किया है. ऐसे में नीतीश कुमार नहीं चाहेंगे की I.N.D.I.A कमजोर हो, साथ ही यह भी इस बहाने जान जाएंगे कि कांग्रेस क्षेत्रीय क्षत्रपों को कितनी तरजीह दे रही है.

I.N.D.I.A.