कांग्रेस नेता अखिलेश के बयान ने बढ़ाई सियासी हलचल.

बिहार में बड़े 'खेल' की तैयारी, अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा-जोड़तोड़ का देगें करारा जबाब.

सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी में जानेवाले अपने दोनों विधायकों (मुरारी प्रसाद गौतम व सिद्धार्थ सौरव) को कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है.विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए अध्यक्ष नंदकिशोर यादव से आग्रह करते हुए एक ज्ञापन भी सौंपा है.उल्लेखनीय है कि मंगलवार को दूसरी पाली में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के पीछे मुरारी व सिद्धार्थ विधानसभा में आए और सत्ता पक्ष की बेंच पर जाकर बैठ गए. अघोषित रूप से वे दोनों भाजपा के हो चुके हैं. पिछली सरकार में मंत्री रहे मुरारी रोहतास जिला में चेनारी सुरक्षित सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. पटना जिला में बिक्रम के विधायक सिद्धार्थ की भी विधानसभा में यह दूसरी पारी है.

बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर दल बदल कानून के तहत उन दोनों की सदस्यता समाप्त करने के लिए लिखित आवेदन दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने नियमानुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया. अखिलेश के साथ विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, मुख्य सचेतक राजेश कुमार, विधायक विजय शंकर दूबे व अजीत शर्मा आदि थे.आवेदन देने के बाद विधानमंडल परिसर में अखिलेश ने कहा कि मुरारी व सिद्धार्थ के विरुद्ध अविलंब न्यायसंगत कार्रवाई का अनुरोध किया गया है. उचित कार्रवाई नहीं होने या कार्रवाई में देरी होने पर कांग्रेस न्यायालय जाएगी. अब सीधी लड़ाई जनता और सरकार के बीच है.

अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हिमाचल, उत्तर प्रदेश व दूसरे राज्यों सहित बिहार में भी विधायकों की खरीद हो रही है. विचारधारा की बात करने वाले कैसे-कैसे कारनामे कर रहे हैं, यह जनता देख रही है. भाजपा वस्तुत: जन-प्रतिनिधियों को मंडी का सामान समझती है. सत्ता भोगने के लिए दूसरे दलों को तोड़ना और प्रजातंत्र का दुष्कर्म करना उसकी पहचान बन चुकी है. विधायकों को कैसे-कैसे लालच दिया जा रहा है, यह भाजपा ही बता सकती है. ईडी-सीबीआइ का डर भी दिखाया जा रहा है. भाजपा की इस कार्यशैली के विरुद्ध कांग्रेस संघर्ष करेगी.

शकील अहमद खान ने कहा कि भाजपा ने राजनीतिक शुचिता को ही समाप्त कर दिया है. सिंबल-संसाधन हमारा और जीत भी हमारी, लेकिन सत्ता भाजपा भोगेगी. अपने हथकंडों से वह नई पीढ़ी को आखिर क्या सीख देना चाहती है. राजेश कुमार का कहना है कि भाजपा ने राजनीतिक मर्यादा को तार-तार किया है. वह संसदीय व्यवस्था को सौदेबाजी में बदल देना चाहती है.

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