मंत्रिमंडल विस्तार पर बिहार में कांग्रेस और नीतीश आमने-सामने.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देर से कांग्रेस के सब्र का बाँध टूटता जा रहा है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार इस मामले को टालते रहते हैं.जब भी मंत्रिमंडल विस्तार से जुदा सवाल पूछा जाता है, नीतीश कुमार तेजस्वी की तरफ ईशारा कर जबाब टाल जाते हैं. हरबार उनका एक ही जबाब होता है- समय आने पर सब हो जाएगा. जिस दल से जितने मंत्री बनने हैं, वह क्लियर है. बुधवार को भी उन्होंने यही बात दोहराई.

 विपक्षी एकता बैठक से लौट कर नीतीश ने जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की तो यह खबर तेजी से फैली कि मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर नीतीश कुमार उनसे बात करने गए थे. बातचीत हो चुकी है. अब जल्दी ही मंत्रिमंडल में आरजेडी और कांग्रेस से कुछ मंत्री शामिल किए जाएंगे.बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार की बात लंबे समय से चल रही है. आरजेडी के दो मंत्रियों के इस्तीफे से उनकी जगह खाली पड़ी हुई है. कांग्रेस मंत्रिमंडल में दो और बर्थ की मांग लंबे समय से कर रही है. राहुल गांधी जब विपक्षी बैठक में भाग लेने पटना आए थे तो उन्होंने नीतीश से इस बारे में पूछा था. तब नीतीश ने उनसे ही प्रतिप्रश्न किया था कि कितने मंत्री बनाने हैं? राहुल कुछ बोलते, इसके पहले ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने संख्या दो बता दी.

महागठबंधन की सरकार बनी तो कुल 31 मंत्रियों ने शपथ ली थी. महागठबंधन में कितने दल हैं, उनके विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्री पद बांटे गए. वाम दलों ने मंत्री पद लेने से मना कर दिया, जबकि सर्वाधिक विधायकों के कारण आरजेडी कोटे से 16 और जेडीयू कोटे से 10 मंत्री बने थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू कोटे से सीएम बने थे. कांग्रेस के कोटे में दो पद मिले. निर्दलीय सुमित सिंह और हम (HAM) से पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन भी मंत्री बनाए गए थे. संतोष सुमन इस्तीफा देकर एनडीए के साथ चले गए हैं. आरजेडी कोटे के दो मंत्री सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह को अपने ऊपर लगे आरोपों के कारण मंत्री पद से इस्तीफा दे देना पड़ा. संतोष सुमन के खाली पद को नीतीश कुमार ने जेडीयू से रत्नेश सदा को मंत्री पद की शपथ दिला दी, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की जगह अब भी खाली है.

कांग्रेस कोटे से फिलहाल नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में दो मंत्री हैं. आफाक आलम और मुरारी गौतम. कांग्रेस की मांग है कि उसे दो और मंत्री पद मिलना चाहिए. कांग्रेस के कुल 19 विधायक है. कांग्रेस ने 70 सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था. तेजस्वी यादव के मन में इस बात का अब भी मलाल है कि इतनी सीटें जिद कर कांग्रेस ने नहीं ली होती तो आरजेडी की और बढ़ जातीं. खैर, अगर राहुल गांधी की मौजूदगी में अखिलेश सिंह ने दो और मंत्रियों की मांग कर दी है तो देर-सबेर नीतीश कुमार उसे अवश्य पूरा करेंगे. लेकिन इस बीच कांग्रेस का गुस्सा भी बढ़ रहा है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चार दिन पहले सिवान में आयोजित अभिनंदन समारोह में शामिल हुए थे. वहां उन्होंने कहा कि महागठबंधन में कांग्रेस अपमान सह कर नहीं रहेगी. कांग्रेस लोकसभा से लेकर विधानसभा तक सम्मानजनक सीटों की उम्मीद तो करती ही है, मंत्रिमंडल में उसे उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. कहा जा रहा है कि अखिलेश सिंह अपनी ओर से ऐसा तल्ख बयान शायद ही दे सकते हैं. इसके पीछे जरूर कांग्रेस आलाकमान की शह है. आलाकमान को भय है कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कहीं कम सीटें देकर टरकाने की कोशिश न हो. इसलिए पहले से ही अपने नेताओं को सख्त तेवर अपनाने की सलाह आलाकमान ने दे रखी हो.

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