बड़ी संख्या में राजनीति में आ रहे हैं नौकरशाह, बदल जायेगी राजनीति?

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में पहलीबार बड़ी संख्या में नौकरशाहों की राजनीति में इंट्री हो रही है.हाल के दिनों में कई आईएएस, आईपीएस और आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) के कुछ पूर्व अधिकारियों ने जनसुराज ,कांग्रेस और जेडीयू की सदयता ली है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में पटना के एसपी ग्रामीण समेत विभिन्न पदों पर रहे पूर्व आइपीएस ललन मोहन प्रसाद ने जेडीयू की सदस्यता ले ली. जन सुराज पार्टी के पहले राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व आइएफएस अधिकारी मनोज भारती चर्चा में बने हुए हैं. पीके (प्रशांत किशोर) ने अनुसूचित समुदाय के मनोज भारती को आगे कर जातियों के खांचे में उलझी राजनीति को नई हवा दे दी है.इससे पहले पहली अक्टूबर को भाजपा छोड़ने वाले पूर्व आइपीएस अधिकारी अरविंद ठाकुर ने दो अक्टूबर को जन सुराज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर 2025 के विधानसभा चुनाव में विधायकी लड़ने की मंशा को स्प्ष्ट कर दिया. ठाकुर को जनसुराज से जोड़ने के पीछे बिहार के पूर्व डीजी राकेश मिश्रा मुख्य मेंटर बताए जा रहे हैं.

 

उधर, लोकसभा चुनाव में बक्सर से निर्दलीय ताल ठोंककर भाजपा की नाव डुबोने वाले पूर्व आइपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी जन सुराजी बन चुके हैं.मिश्रा अब सांसद बनने के बजाए तत्काल विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रहे हैं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद नौकरशाह रहे पूर्व आइएएस अधिकारी मनीष वर्मा जेडीयू की सदस्यता ग्रहण करने के बाद संगठन में अहम दायित्व पाने में सफल रहे. राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के साथ ही वर्मा धरातल पर संगठन गढ़ने में जुटे हैं. मनीष वर्मा बिहार के सभी जिलों का दौरा करके राजनीतिक नब्ज टटोल रहे हैं. हर एक जिले में एक-दो दिनों तक प्रवास करके संगठन के साथ क्षेत्र के बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात कर रहे हैं.वर्तमान में जेडीयू  के उभरते हुए कुशल संगठक के रूप में मनीष की चर्चा हो रही है.

 

इसके पहले भी दर्जनों आईएएस और आईपीएस अधिकारी जन-सुराज और कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.इसबार दो दर्जन से ज्यादा आईएएस और आईपीएस अधिकारी विधान सभा चुनाव लड़ते नजर आ सकते हैं.सबसे बड़ा सवाल-क्या ये नौकरशाह बिहार की राजनीति को नई दिशा दे पायेगें? क्या जनता नौकरशाहों पर भरोसा करेगी?

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