185 सीटों पर BJP का क्षेत्रीय पार्टियों से मुकाबला.

185 सीटों पर BJP और क्षेत्रीय दलों के बीच हुआ है सीधा मुकाबला,, जानिए  328 सीटों का गणित..

सिटी पोस्ट लाइव : पटना में आज विपक्षी एकता की बैठक  शुरू हो गई है.इस बैठक में15 दलों के नेता शामिल हैं.6 सीएम और 5 पूर्व CM भी बैठक में शामिल हैं.बीजेपी को देश की सत्ता से हटाने के लिए  विपक्षी एकता की बैठक शुरू हो चुकी है.सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 10 साल से अलग-थलग पड़े यूपीए का नए सिरे से गठन किया जा सकता है. इसमें कई नए दल शामिल होंगे, जिसका चेयरमैन गांधी परिवार या कांग्रेस से अलग नीतीश कुमार को बनाया जा सकता है. नए संयोजक के रूप में उनके नाम की घोषणा हो सकती है.

नीतीश कुमार की बीजेपी के एक उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार उतारने के प्रस्ताव पर सहमति बनाने की कोशिश होगी. सीट बंटवारे के फॉर्मूले के अलावा न्यूनतम साझा कार्यक्रम के प्रारूप पर चर्चा हो सकती है. अगर विपक्षी एकता की ये बैठक सफल होती है और सभी दल एक छतरी के नीचे आने को तैयार जाते हैं, तब इसका सीधा असर 12 राज्यों की 328 लोकसभा सीटों पर पड़ेगा. इन 328 सीटों में अभी 128 विपक्षी पार्टियों और 165 बीजेपी के पास है. बाकी सीटें अन्य पार्टियों के पास हैं, जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है.

विपक्षी एकता की इस बैठक में बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली के 12 क्षत्रप शामिल हो रहे हैं. इनके पास लोकसभा की 90 सीटें हैं. बिहार की जेडीयू के पास 16 सीटें, झारखंड के जेएमएम के पास 1 सीटें, महाराष्ट्र की शिवसेना (उद्धव गुट) के पास 18 और एनसीपी के पास 4 सीटें, पश्चिम बंगाल की टीएमसी के पास 23 सीटें, तमिलनाडु की डीएमके के पास 23 सीटें, जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 3 सीटें, पंजाब और दिल्ली में आप के पास 2 सीटें शामिल हैं.

2019 में 185 सीटें ऐसी थी, जहां भाजपा और क्षेत्रीय दल नंबर-1 और नंबर-2 थे. इनमें मुख्य तौर पर यूपी- 74 सीटें, बंगाल-39 सीटें, ओडिशा-19 सीटें, महाराष्ट्र-10 सीटें, बिहार-15 सीटें, झारखंड और कर्नाटक से 6-6 सीटें हैं.इन 185 सीटों में 128 सीटों पर कांग्रेस का रोल लिमिटेड या बहुत कम था. इसमें खास कर यूपी की 74, पश्चिम बंगाल की 39, ओडिशा की 19 सीटें शामिल हैं. अगर महागठबंधन बनता तो यहां मेन कॉन्टेस्ट बीजेपी और क्षेत्रीय दल के बीच होगा. कांग्रेस का यहां खास असर नहीं है.

2019 के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 97 लोकसभा की सीटें ऐसी हैं, जहां 2019 में क्षेत्रीय दल वर्सेज क्षेत्रीय दल का मुकाबला था. इनमें क्षेत्रीय दल ही नंबर-1 और नंबर-2 पर थे. बीजेपी और कांग्रेस लड़ी भी तो नंबर-3 और नंबर-4 रहीं. 43 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों के बीच मुकाबला हुआ.इन 97 सीटों में से मुख्य रूप से तमिलनाडु की 27 सीटें, महाराष्ट्र की 16 सीटें, बिहार की 16 सीटें और आंध्र प्रदेश की 25 सीटें शामिल हैं. बाकी की 13 अन्य क्षेत्रीय पार्टियों की हैं. महाराष्ट्र और तमिलनाडु को मिला दें तो इन 43 सीटों पर गठबंधन पहले से ही है. बाकी के 54 सीटों पर काफी मुश्किल होने वाली है.

71 सीटें ऐसी हैं, जहां 2019 में कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला था. इसमें पंजाब-10 (अकाली दल-कांग्रेस), तेलंगाना- 11 (बीआरएस-कांग्रेस), केरल-15 (कांग्रेस-सीपीएम), बिहार में ऐसी 7 सीटें हैं. इनमें 36 सीटें ऐसी हैं, जहां अपोजिशन यूनिटी पॉसिबल ही नहीं है. केरल में कम्युनिस्ट और कांग्रेस नंबर-1 और नंबर-2 पार्टियां हैं. तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस के बीच अलायंस नहीं हो सकता है.

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