नीतीश सरकार के Floor Test से पहले फंसा पेंच!

  

सिटी पोस्ट लाइव  : बिहार विधानसभा में 12 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के फ्लोर टेस्ट को लेकर सियासी हलचल तेज है.सबके जेहन में एक बड़ा सवाल है- फ्लोर टेस्ट के दौरान विधानसभा में आसन पर कौन बैठेगा? विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने अपने पद से हटने से इनकार कर दिया है. इधर, विधानसभा के उपाध्यक्ष ने कहा है कि अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया गया है. ऐसे में इस पर होने वाली चर्चा और मतदान के समय वह आसन पर बैठेंगे.

विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) अवध बिहारी चौधरी राजद से आते हैं। सरकार बदलने के बाद उन्होंने अपने पद से हटने से इनकार कर दिया था.उन्होंने कहा था कि हम नियम से चलेंगे. हमारे पद का फैसला सदन में विधायक करेंगे. सदन की कार्यवाही नियम के अनुसार ही चलेगी. सोमवार 12 फरवरी से बिहार विधानसभा में बजट सत्र शुरू होना है. सत्र शुरू होने पर सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी.स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर वह पद यानी आसन से हट जाएंगे. इसके बाद नए अध्यक्ष चुने जाएंगे. इसके बाद वही सदन में फ्लोर टेस्ट की आगे की कार्यवाही को आगे बढ़ाएंगे.

विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने कहा है कि 12 फरवरी को सदन उनकी अध्यक्षता में संचालित होगा, क्योंकि अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव दिया गया है.हजारी के अनुसार, विधानसभा कार्य संचालन नियमावली का नियम 179 कहता है कि अध्यक्ष के खिलाफ यदि अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है, तो ऐसी स्थिति में इस पर होने वाले मतदान के समय वह आसन पर नहीं रह सकते हैं.हजारी ने कहा कि ऐसे में मेरी अध्यक्षता में ही स्पीकर (अवध बिहारी चौधरी) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदाना होगा. बता दें कि सदन में सत्र के दौरान अध्यक्ष की अनुपस्थित में उपाध्यक्ष अथवा मनोनीत किए गए सदस्य ही आसन की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं.

राजग विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव की सूचना 28 जनवरी को ही विधानसभा सचिव को दी थी। नियमत: इसके 14 दिन बाद इस पर मतदान कराया जाना है.12 फरवरी को विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा. इस पर मतदान किया जाएगा.इसके परिणाम से तय होगा कि अवध बिहारी चौधरी आसन पर फिर से बैठेंगे या नहीं. हालांकि, उनके दोबारा आसन पर बैठने की संभावना कम है.चूंकि, बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बाद समीकरण बदल चुका है. सदन में अब जदयू-भाजपा के विधायक गठबंधन में हैं. ऐसे में विपक्ष में बैठी राजद का अपनी पार्टी के किसी शख्स को अध्यक्ष के आसन पर बैठाए रखना नामुमकिन होगा.

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