विश्व असमानता लैब की रिपोर्ट पढ़कर परेशान लालू यादव.

लालू यादव

:  शेयर किया पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के डरावने आंकड़े

 

सिटी पोस्ट लाइव :केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनाने में असफल रहने के बाद  RJD सुप्रीमो लालू यादव को दलितों और आदिवासियों की चिंता सता रही है. लालू ने वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब की रिपोर्ट को एक्स पर साझा कर देश में बढ़ रही असमानता पर चिंता क्या जताई, लोगों ने उनको ट्रोल करना शुरू कर दिया.लोगों ने उनसे पूछा कि लालू जी ये बताइए कि स्कूटर पर चारा कैसे ले जाया जाता है. लालू के पोस्ट पर लोगों ने चुटकी ली है. उनके कार्यकाल को याद दिलाया है. लेकिन लालू यादव ने जिस रिपोर्ट का हवाला दिया है वो सच में चिंताजनक है.

 

लालू यादव ने एक्स पर लिखा है कि वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब (विश्व असमानता लैब) की ओर साझा की गई रिसर्च में पिछड़ों/दलितों और आदिवासियों के लिए डरावने आंकड़े सामने आए है. यह रिसर्च देश में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक गैर बराबरी को उजागर करती है. उन्होंने आगे लिखा है कि इस रिपोर्ट के अनुसार उच्च जातियों के पास देश की कुल संपत्ति का .% हिस्सा है जबकि ओबीसी के पास केवल .% और अनुसूचित जाति और जनजाति के पास मात्र .% है. में का देश की संपत्ति में .% हिस्सा था जो में घटकर % ही रह गया है. छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय लगातार घटते जा रहे हैं. कृषि घाटे का सौदा होता जा रहा है. किसान सरकार की गलत नीतियों के चलते बर्बाद हो रहे है.

लालू यादव ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए आगे कहा है कि  देश में // की आबादी लगभग % है. यही कारण है कि बीजेपी जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती क्योंकि इससे हर क्षेत्र में कुंडली मारे बैठे संपन्न लोगों का प्रभुत्व उजागर हो जाएगा. रिसर्च बताती है कि देश की कुल संपत्ति का बड़ा हिस्सा लगभग % हिस्सा, आबादी में सबसे कम वाले वर्गों के पास है तथा देश की सबसे अधिक आबादी वाले % // के पास बाक़ी बचा हिस्सा है. इससे पता चलता है कि हमारे देश में सामाजिक-आर्थिक असमानता की जड़ें कितनी गहरी हैं. मोदी सरकार लगातार बरसों से , और वर्ग के छोटे व्यवसायों को भी टारगेट कर खत्म कर रही है. उन्होंने बीजेपी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए  लोगों को बीजेपी के प्रति सचेत किया है.

लालू यादव ने आगे लिखा है कि जब तक , & और उच्च जाति के गरीब लोग बीजेपी की भक्ति, धर्मांधता और नफरत बोने वाले दंगाइयों को अपना नेता मानेंगे, तो ये आंकड़े और भी बदतर होते जाएंगे. विगत वर्षों में इन्होंने आपको यानि // को धर्म और छद्म राष्ट्र के बनावटी मुद्दों व बहसों में उलझा कर अपनी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सत्ता को और अधिक सुदृढ़ एवं सुनिश्चित किया है. ये लोग धूर्तता के साथ // को सांकेतिक और दिखावटी प्रतिनिधित्व देकर इतिश्री कर देते है ताकि देश की ये बहुसंख्यक आबादी अपने अधिकारों की वाजिब मांग ना कर सके.