आम बजट का नीतीश सरकार को बेसब्री से इंतज़ार.

City Post Live
Nitish Kumar is ready to part ways with BJP.

सिटी पोस्ट लाइव : . आज  नए सत्र के दूसरे दिन यानी 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली हैं. वैसे तो देशभर की निगाहें  मोदी सरकार के बजट पर टिकी है लेकिन  बिहार की नीतीश सरकार  मोदी सरकार 3.0 के इस बार के बजट आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है. दरअसल नीतीश कुमार की सरकार पिछले 18 सालों से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करती आ रही है. लेकिन, बजट के ठीक पहले केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि मौजूदा प्रावधान के तहत बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है.

केंद्र सरकार के इस घोषणा के बाद बिहार में सियासी हलचल तब और तेज हो गई हा. लालू यादव ने कहा केंद्र को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना ही होगा. लेकिन, वहीं दूसरी तरफ जेडीयू  ने इस फ़ैसले पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए जो मांग उठाई वो बेहद महत्वपूर्ण है. पूर्व में वित्त मंत्री रह चुके जेडीयू  के वरिष्ठ नेता और संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि केंद्र की सरकार से हमारी मांग है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए. लेकिन, अगर मौजूदा प्रावधान के तहत ये संभव नहीं है तो बिहार को विशेष पैकेज दिया जाए या विशेष मदद की जाए. बिहार अपने संसाधन से विकास कर ही रहा है लेकिन तेज गति से विकास के लिए बिहार को विशेष मदद की ज़रूरत है और हमे उम्मीद है केंद्र की सरकार बिहार के लिए विशेष पैकेज जरूर देगी.

नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के बाद विशेष दर्जे की मांग पर विचार करने के लिए 8 दिसंबर 2011 को अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया. आईएमजी ने मांग को खारिज कर दिया लेकिन स्वीकार किया कि बिहार में विकास की भारी कमी है. एन.के. सिंह ने राज्यसभा में सवाल उठाया और 20 दिसंबर 2012 को श्री चिदंबरम ने अपने जवाब में मानदंड के मुद्दों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता को स्वीकार किया. नीतीश कुमार द्वारा बनाए गए दबाव के बाद रघुराम राजन समिति का गठन किया गया और इस मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए सितंबर 2013 को फिर से रिपोर्ट सौंपी गई और फंड आवंटन के लिए एक बहुआयामी सूचकांक मानदंड की सिफारिश की गई.

 समिति ने 10 साल बाद फॉर्मूलों और मानदंडों की दोबारा जांच करने की भी सिफारिश की.
अब सितंबर 2023 में 10 साल पूरे हो गए हैं और यदि राजनीतिक दल गंभीर हैं और उनमें राजनीतिक इच्छाशक्ति है तो उन्हें डबल इंजन सरकार के तहत नए तार्किक और व्यावहारिक मानदंडों के साथ एक नई समिति की मांग करनी चाहिए और सभी योग्य राज्यों को विशेष दर्जा देने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और न्याय करना चाहिए.बहरहाल इन सब के बीच केंद्र की सरकार के ये तो साफ कर दिया है कि विशेष राज्य का दर्जा तो नहीं दिया जा सकता है. लेकिन, विशेष पैकेज पर नजर टिकी हुई है जिसका इशारा बीजेपी नेता और मंत्री नितिन नवीन भी इशारा कर रहे है. नितिन नवीन कहते हैं कि केंद्र की सरकार बिहार के विकास के लिए चिंतित है. इस बार बिहार को विशेष अधिकार देने जा रही है.

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