“आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा पाईं”

सिटी पोस्ट लाइव : आज पीएम मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया. पीएम मोदी (PM Modi In Nalanda University) ने कहा कि पुस्तकें भले की जल जाएं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं. नालंदा के दंश ने भारत को अंधकार से भर दिया था. अब इसकी पुर्नस्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रहा है. अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण, ये नया कैंपस विश्व को भारत के सामथ्य का परिचय देगा. नालंदा बताएगा कि जो राष्ट्र मजबूत मालवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं, वह इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं.

 

मोदी ने कहा -सभी जानते हैं कि नालंदा कभी बारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र होता था. नालंदा का अर्थ है- जहां शिक्षा का, ज्ञान के दान का अविरल प्रवाह हो. शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है. शिक्षा सीमओं से परेह, नफा नुकसान के नजरिए से परेह है. शिक्षा ही हमें गढ़ती, विचार देती और उसे आकार देती है. प्राचीन नालंदा में बच्चों का एडमिशन उनकी पहचान, उनकी नेशनलिटी को देखकर नहीं होता था. हर देश के युवा यहां आते थे. नए कैंपस में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है. ये देखकर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से यहां छात्र आने लगे हैं. नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, यह वसुधैव कुटुंबकम का बड़ा उदाहरण है. आने वाले समय में नालंदा यूनिवर्सिटी फिर एक बार हमारे कल्चरल एक्सचेंज का प्रमुख सेंटर बनेगी.

 

पीएम मोदी ने कहा कि एक यूनिवर्सिटी कैंपस के उद्घाटन में इतने देशों का मौजूद होना, ये अपने आप में अभूतपूर्व है. नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में साथी देशों की भागीदारी भी रही है. मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का अभिनंदन करता हूं. बिहार के लोगों को बधाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आग बढ़ रहा है, नालंदा का यह कैंपस इसके लिए प्रेरणा है.

 

नालंदा में भारत और साउथ ईस्ट एशियन देशों के आठ वर्ग के डॉक्युमेंटशन का काफी काम हो रहा है. यहां कॉमन आर्काइवल रिसोर्सेज सेंटर की स्थापना भी की गई है. नालंदा यूनिवर्सिटी आशियान-इंडिया यूनिवर्सिटी नेटवर्क बनाने की दिशा में भी काम कर रही है. इतने कम समय में कई लीडिंग ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स यहां ऐसे समय में एक साथ आए हैं. हमारे साझा प्रयास हमारी साझी प्रगति को नई ऊर्जा देंगे. भारत में शिक्षा मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है. हम सीखते हैं, ताकि अपने ज्ञान से मानवता का भला कर सकें. अभी दो दिन के बाद ही 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे है. आज भारत में योग की सैकड़ों विधाएं मौजूद हैं. हमारे ऋषियों ने इसके लिए कितना गहन शोध किया होगा. लेकिन किसी ने इस पर एकाधिकार नहीं बनाया.

 

पीएम मोदी ने कहा कि पूरा विश्व योग को अपना रहा है. योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है. हमने अपने आयुर्वेद को भी पूरे विश्व के साथ साझा किया है. आज आयुर्वेद को स्वस्थ्य जीवन के स्त्रोत के रूप में देखा जा रहा है. सस्टेनेबल लाइफ और डेवलपमेंट का एक और उदाहरण हमारे सामने है. भारत ने सदियों तक सस्टेनेबिलिटी को एक मॉडल के रूप में जीकर दिखाया है. हम प्रगति और पर्यावरण को एक साथ लेकर चले हैं.अपने उन्हीं अनुभव के आधार पर भारत ने विश्व को ‘मिशन लाइफ’ जैसा मानवीय विजन दिया है. आज इंटरनेशनल सोलर एलायंस जैसे मंच सुरक्षित भविष्य की उम्मीद बन गए हैं. नालंदा यूनिवर्सिटी का ये कैंपस भी उसी भावना को आगे बढ़ाता है. ये देश का पहला ऐसा कैंपस है, जो नेट जीरो एनर्जी, नेट जीरो एमिशन्स नेट जीरो वाटर और नेट जीरो वेस्ट मॉडल पर काम करेगा.