क्यों दहशत में हैं बिहार-झारखंड बीजेपी सांसद?

 लोकसभा चुनाव 2024 : बिहार और झारखण्ड के किस सांसद का होने वाला है पत्ता साफ.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार और झारखण्ड को मिलाकर 58 लोक सभा की सीटें हैं.पिछले चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को  56 सीटें जितने में कामयाबी मिली थी.लेकिन इसबार चुनावी समीकरण बदल गया है. सभी सीटों पर कांटे की लड़ाई होने की संभावना है.ऐसे में बीजेपी झारखण्ड और बिहार पर ज्यादा ध्यान दे रही है.इसबार बिहार के आधे दर्जन और उतने ही झारखण्ड के सांसदों का टिकेट कटने  वाला है. बीजेपी की ओर से पार्टी के सभी सांसदों के कार्यों  का मूल्यांकन को लेकर गुप्त सर्वे चल रहा है.पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए जनता और कार्यकर्ताओं की नजर में योग्य उम्मीदवार की तलाश के लिए सर्वे कराया जा रहा है.

 पार्टी की ओर से कराए जा रहे सर्वे के बाद कई वर्तमान सांसदों का टिकट सकता हैं, वहीं कुछ नए चेहरे को मौका मिल सकता है. बताया जा रहा है कि बीजेपी तीन चरणों में रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है. अंतिम चरण का रिपोर्ट कार्ड दिसंबर में फाइनल हो जाने की संभावना है. सर्वे में सांसदों और उनके परिजनों का पूरा लेखा-जोखा, सांसद ने क्या काम किए, और जनता का फीडबैक क्या है, इसकी पूरी जानकारी एकत्रित की जा रही है. इस सर्वे के कारण बीजेपी के बिहार झारखण्ड के कई वर्तमान सांसदों के होश उड़े हैं.पिछले लोक सभा चुनाव में JDU बीजेपी के साथ थी. दोनों ने मिलकर 39 सीटें जीती थीं.लेकिन अब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ जा चुके हैं.ऐसे में बीजेपी की चुनौती बढ़ी हुई है.बीजेपी अपने आधे दर्जन से ज्यादा सांसदों को मैदान से हटा सकती है.आरा के सांसद आर.के. सिंह, बक्सर के सांसद अश्वनी चौबे, सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ,पाटलिपुत्र और पटना के सांसरविशंकर प्रसाद और रामकृपाल यादव के परफॉरमेंस की समीक्षा की जा रही है.

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झारखंड में 14 लोकसभा सीटों में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एक सीट पर एनडीए में शामिल सहयोगी दल आजसू पार्टी को जीत मिली थी.एक सीट पर जेएमएम और एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली थी. अब बीजेपी के आंतरिक सर्वे के बाद कई संसदीय क्षेत्रों में उलटफेर की गुंजाइश बनती दिख रही है. किस सांसद को फिर से मौका मिलेगा और किनका पत्ता कटेगा, सर्वे में प्राप्त फीडबैक के बाद ही अंतिम फैसला होगा.

चर्चा है कि संताल परगना के एक सांसद का टिकट उनके परफॉरमेंस के कारण खतरे में पड़ने की संभावना है. पार्टी के अंदर चर्चा है कि दुमका के सांसद सुनील सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती है.
केंद्रीय मंत्री और कोडरमा की बीजेपी सांसद अन्नपूर्णा देवी को लेकर है। अन्नपूर्णा देवी को बीजेपी ने राज्य में ओबीसी चेहरा के रूप में सामने रखते हुए मतदाताओं को संदेश देने का प्रयास किया. लेकिन पार्टी के अंदर ही एक गुट उनके खिलाफ लगातार सक्रिय है. ऐसे में अन्नपूर्णा देवी वर्ष 2024 के चुनाव में भी ओबीसी चेहरा बनीं रहेंगी या बदलाव होगा, इसका आकलन किया जा रहा है.

धनबाद में बीजेपी सांसद पीएन सिंह की जगह विधायक सरयू राय की दावेदारी की बात सामने आ रही हैं. रघुवर दास के झारखंड की सक्रिय राजनीति से दूर होने के बाद सरयू राय के फिर से बीजेपी में शामिल होने की चर्चा जोर-शोर से चल रही है. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों बाबूलाल मरांडी के साथ नई दिल्ली में सरयू राय ने बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी की थी.पलामू के सांसद विष्णु दयाल राम को लेकर पार्टी के अंदर कई तरह की चर्चा हो रही है. अनुसूचित जाति सीट के लिए आरक्षित इस सीट में उनका विकल्प कौन बनेगा, इस पर मंथन जारी है.

चतरा लोकसभा सीट क्षेत्र से सुनील कुमार सिंह लगातार दो बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. साल 2019 के चुनाव में भी सुनील सिंह की जगह किसी दूसरे को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा थी. लेकिन दिल्ली में मौजूद कुछ केंद्रीय नेताओं ने उनकी जबर्दस्त तरीके से पैरवी की, जिसके कारण उनका टिकट बरकरार रहा. अब 2024 के चुनाव में क्या होगा  इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है.साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगी दल आजसू पार्टी के लिए गिरिडीह सीट छोड़ी थी। लेकिन इस बार आजसू पार्टी सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी गिरिडीह की जगह हजारीबाग सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. चंद्रप्रकाश चौधरी हजारीबाग लोकसभा सीट के तहत आने वाले रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और इस बार उपचुनाव में उनकी पत्नी विधायक चुनी गई हैं.

लोहरदगा लोकसभा सीट से लगातार दो बार विजयी रहे सुदर्शन भगत आलाकमान के गुडबुक में हैं.  रांची के सांसद संजय सेठ के स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही है. अभी इस सीट में प्रदीप वर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. जमशेदपुर में विद्युत वरण महतो की उम्र और स्वास्थ को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं हैं. खूंटी लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा फिर से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि जिस तरह से कुरमी जाति को एसटी में शामिल करने को लेकर अर्जुन मुंडा का बयान आया था, उससे कुरमी समुदाय में नाराजगी की बात भी सामने आ रही हैं. लेकिन 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खूंटी पहुंचे और कई कार्यक्रमों में शामिल हुए, इससे अर्जुन मुंडा के समर्थकों में जोश हैं। गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे का रिपोर्ट कार्ड अब तक दुरुस्त रहा है.

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राजमहल और सिंहभूम लोकसभा सीट पर कब्जा करने में असफल रही थी. इन दोनों सीटों पर बीजेपी का विशेष ध्यान है. सिंहभूम की कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा और उनके पति पूर्व सीएम मधु कोड़ा के बीजेपी में पुनर्वापसी की चर्चा है. राजमहल के जेएमएम सांसद विजय हांसदा के खिलाफ भी किसी मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है.

Panic among BJP MPs