अब EBC कार्ड होगा BJP का अहम एजेंडा.

, नीतीश सरकार ने बढ़ाई टेंशन; अगले महीने गया आएंगे जेपी नड्डा

सिटी पोस्ट लाइव :  महागठबंधन के सामाजिक समीकरण ने लोकसभा के पिछले चुनाव में राज्य की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल करने वाले एनडीए की बेचैनी बढ़ा दी है.लोकसभा व विधानसभाओं में महिला आरक्षण का दांव चल भाजपा ने बढ़त लेने का प्रयास किया था, लेकिन बिहार में आरक्षण की सीमा में वृद्धि कर महागठबंधन ने बीजेपी की चुनौती बढ़ा दी है. अमित शाह ने मुजफ्फरपुर की सभा में यादव-मुसलमानों की संख्या बढ़ा कर दिखाने का आरोप लगाने के साथ ही किसी अति पिछड़े को मुख्यमंत्री बनाने की चुनौती देकर राजनीति भंवर में डालने का प्रयास किया था

.बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने संबंधित एक दशक पुरानी मांग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से सुलगाकर भाजपा को चक्रव्यूह में डाल दिया है. बिहार भाजपा ने नीतीश कुमार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए 25 नवंबर को शीर्ष चिंतकों की बैठक बुलाई है. 25 को होने वाली बैठक में अगले महीने यानी दिसंबर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गया में सभा कराने की तिथि पर मुहर लग सकती है. अमित शाह की अगली सभा के बारे में भी इस बैठक में फैसला होना है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जाति आधारित गणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद भाजपा ने तत्काल अति पिछड़े वर्गों को लेकर त्रिस्तरीय लामबंदी की रणनीति बनाई है. इसमें पहला जातिगत आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह को गांव-गांव तक पहुंचाना है.दूसरा अति पिछड़े वर्ग की संख्या कम की गई है और यादवों एवं मुसलमानों की संख्या बढ़ाई गई है. तीसरा  कुशवाहा की संख्या 5 प्रतिशत से घटकर 4.2 प्रतिशत, कुर्मियों की संख्या 3.3 से घटकर 2.2, धानुक की संख्या 2.2 से 2.1 प्रतिशत और कहार 1.8 प्रतिशत से 1.6 प्रतिशत हो गई.ऐसे में सरकार से पंचायत-वार जाति आधारित गणना रिपोर्ट का आंकड़ा जारी करने की मांग बीजेपी करेगी.

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