नीतीश के सवर्ण विधायकों को वोटरों के छिटकने का डर.

एनडीए के जनाधार वाले क्षेत्र से हैं JDU के अधिकांश विधायक, उन्हें डरा रहा है चुनाव हार जाने का डर.

सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ सरकार तो चला रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी के सवर्ण विधायक परेशान हैं.एनडीए के साथ तालमेल के तहत चुनाव जीतनेवाले सवर्ण विधायकों चुनाव हार जाने या फिर टिकेट क्त जाने का डर सता रहा है. दरअसल जदयू के अधिकांश विधायक एनडीए के जनाधार वाले क्षेत्र से आए हैं.RJD   के विरुद्ध उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका RJD  नेताओं से प्रताड़ित जनता और एनडीए के समर्थक वोट की रही है. सत्ता में बने रहने को लेकर अभी भले साथ हैं पर जब चुनाव में जाएंगे तो उनकी असल जरुरत यानी एनडीए वोट बैंक की होगी.

नीतीश कुमार अगर RJD  के जंगल राज के विरुद्ध  इतने दिनों तक सत्ता में बने रहे तो इसमें सवर्ण वोटरों की भूमिका प्रमुख थी. बाकी के भी वोटर कुशासन से ऊबे हुए थे. वो सुशासन और विकास चाहते थे. लेकिन अब महागठबंधन में जाने के बाद सत्ता पर RJD  का रंग चढ़ना शुरू हो चूका है.अपराध बढ़ने लगा है.अपहरण उद्योग, धमकी, रंगदारी के मामले तेजी से सामने आने लगे हैं. नीतीश कुमार के प्रभाव में अधिकारी विधायकों की कोई बात सुनते नहीं हैं.

परवत्ता विधायक संजीव सिंह ने  अगवानी सुल्तानगंज पुल के ध्वस्त होने के बाद  पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को पुल के कमजोर होने की जानकारी दी थी, पर हुआ कुछ नहीं. सदन में भी प्रश्नकाल के जरिए सवाल उठाया, मगर फिर भी कुछ नहीं हुआ. सवाल यह है कि चुनाव नजदीक आने वाले हैं. इन्हें अपने वोटरों को जवाब देना है. अपने विकास कार्यों का जवाब देना है. ऐसे में ये नेता अपने आधार वोट की राजनीति करने को मजबूर हैं. ऐसे में न तो एनडीए का वोट मिलेगा और न राजद के आधार वोट ही.

मटिहानी विधायक राज कुमार सिंह हों या बरबीघा के विधायक सुदर्शन की राजनीतिक जमीन भूमिहार वोटरों पर ही टिकी है. बेगूसराय में भूमिहार वोटर ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राजू कुमार सिंह गत चुनाव में LJP से लड़े थे और जदयू के उम्मीदवर बोगो सिंह को हरा कर सदन में आए थे. पहली बार विधायक बने. लेकिन फिर JDU में शामिल हो गए. अब तो इनकी भी समस्या यही है. बरबीघा में भी भूमिहार बहुल क्षेत्र है, जहां हरिजन वोटर अक्सर भूमिहार के साथ रहते हैं. चौथे विधायक हैं पंकज मिश्रा, ये रुन्नी सैदपुर से विधायक हैं. इनकी भी परेशानी वही है.

JDU ऐसे सवर्ण विधायक संशय में  हैं जिनकी  जीत सवर्ण वोट  बैंक के  कारण  हुई है.  अब उनकी पार्टी RJD  के साथ है जिनके खिलाफ ये ताउम्र विरोध की राजनीति करते रहे है. अब महागठबंधन के साथ आने पर बहुत कुछ बदलाव तो आयेगा. RJD  से हाथ मिलाने के बाद उप चुनाव में नीतीश कुमार को  कई बूथों पर भूमिहार-कुर्मी वोटरों से हाथ धोना पड़ा. सच्चाई भी यही है कि RJD  कभी भी JDU  का नेचुरल एलायंस नहीं रहा है.उपेन्द्र  कुशवाहा के अलग हो जाने से और स्वभावतः ही कुशवाहा वोटरों ‘का समर्थन बीजेपी को मिल सकता है.

JDUUPPER CASTE MLAS