आर्थिक संकट से गुजर रहा है शिक्षा विभाग .

केंद्र से नहीं मिली समग्र शिक्षा की पूरी राशि, इंफ्रास्ट्रक्चर का कार्य बाधित, हांफ रही नीतीश सरकार...

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की  शिक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार लाने की मुहीम में जुटे के के पाठक  की चुनौती बढ़ गई है.पाठक शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए लगातार योजनायें बना रहे हैं लेकिन उन योजनाओं को पूरा करने के लिए उनके पास फण्ड ही नहीं है.  समग्र शिक्षा अभियान के लिए केंद्र से  स्वीकृत राशि राज्य सरकार को नहीं मिल रही है. केंद्र और राज्य सरकार के बीच पत्राचार की जंग छिड़ी हुई है. नीतीश सरकार वित्तीय मोर्चे पर हांफ रही है.

चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा में बिहार के लिए 8796 करोड़ 52 लाख रुपये की स्वीकृति दे रखी है, लेकिन इसके विरुद्ध 787 करोड़ रुपये ही मिला है. इसमें राज्यांश 524 करोड़ 73 लाख रुपये को मिलाकर शिक्षकों के वेतनादि पर खर्च हो चुके हैं.असली संकट सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संरचना का निर्माण कार्य ठप होना है जिसके लिए केंद्र सरकार ने अब तक कोई राशि नहीं दी है.बिहार लोक सेवा आयोग से नवंबर में नियुक्त किए गए एक लाख दस हजार शिक्षकों को वेतन भुगतान भी किया जाना है. जाहिर, शिक्षकों को वेतन भुगतान का संकट गहराने की संभावना है.

बहरहाल, सरकार राज्य योजना मद से निधि का इंतजाम करने में जुटी है. शिक्षकों को प्रशिक्षण मद में भी नहीं कराई गई राशि उपलब्ध : राज्य सरकार केंद्रांश की राशि को लेकर केंद्र सरकार के साथ पत्राचार तो कर रही है, लेकिन उसका कोई खास रिस्पांस नहीं मिल रहा. इसके चलते सरकारी विद्यालयों में इफ्रांस्ट्रक्चर का कार्य ठप है.

चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने माध्यमिक शिक्षा में 664.42 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दे रखी है, लेकिन अब तक महज 87.31 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया गया है. जबकि नवंबर,2023 तक राज्य सरकार माध्यमिक शिक्षा में विकास कार्यों पर 145.51 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.पिछले साल केंद्र सरकार से मध्यामिक शिक्षा में स्वीकृत राशि 1105 करोड़ रुपये में 35 प्रतिशत राशि की कटौती कर दी गई थी. इसका असर माध्यमिक विद्यालयों के भवनों के निर्माण एवं मरम्मत पर पड़ा है.

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