यूपी- बिहार के यादवों को साधने की BJP की कोशिश.

सिटी पोस्ट लाइव : मध्य प्रदेश में  मोहन यादव को CM बनाने अ फैसला लेकर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और खासतौर पर बिहार को साधने की कोशिश की है. बिहार के भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि  ‘आरजेडी तो बिहार में किसी यादव को CM नहीं बना पाई परंतु बीजेपी  ने मध्य प्रदेश में यादव को CM बना दिया.’ जाहिर है मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने बिहार के यादवों को साधने की कोशिश की है.

यूपी में  यादव-मुस्लिम कोर वोट बैंक की राजनीति करने वाली सपा के चेहरे अखिलेश यादव 2017 तक CM थे और इसके बाद सत्ता से बाहर हो गए. दूसरी ओर, बिहार में राबड़ी देवी CM के पद पर आखिरी यादव चेहरा थीं, जिनकी कुर्सी 2005 में चली गई थी. 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ गठबंधन में हुई प्रचंड जीत में अधिक सीटें जीतने के बाद भी आरजेडी ने CM की कुर्सी नीतीश कुमार के ही पास रहने दी. पिछले साल अगस्त में नीतीश जब भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी के साथ आए तो उनकी CM की कुर्सी नहीं हिली, तेजस्वी यादव जरूर डिप्टी CM बने.

मोहन यादव को जिस एमपी में भाजपा ने CM बनाया है, वहां  यादव वोटर महज 8 फीसदी हैं. यूपी में यादव वोटरों की भागीदारी 8 फीसदी से 9 फीसदी तक होने का दावा किया जाता है. मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद, आजमगढ़, अयोध्या, संतकबीरनगर, कुशीनगर, फर्रुखाबाद, जौनपुर आदि लोकसभा सीटों पर इनका प्रभावी असर है. यूपी में सपा का यह सबसे ठोस वोट बैंक हैं. लोकसभा में इस समय चार यादव सांसद हैं जिसमें दो सपा, एक बसपा व एक भाजपा का है.

बिहार में आए हालिया जातीय सर्वे के अनुसार वहां यादवों की जनसंख्या 14.30 फीसदी है. यहां से पांच यादव लोकसभा पहुंचे हैं, जिसमें नित्यानंद राय को मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया गया है. यादव यहां लालू प्रसाद यादव की आरजेडी का कोर वोट बैंक माने जाते हैं. आरजेडी- जेडीयू की प्रदेश सरकार में 25 फीसदी मंत्री इसी बिरादरी से हैं. ये आंकड़ें इन राज्यों की सियासत में यादव वोटरों के दम की तस्वीर पेश करते हैं.अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या बिहार में भी यादवों को साधने के लिए बीजेपी किसी यादव नेता को आगामी विधान सभा चुनाव में अपना चेहरा बनायेगी?

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