अमित शाह पार्टी नेताओं को दे गये चुनाव का मंत्र.

सिटी पोस्ट लाइव : किसी जाति-जमात का विरोध किए बिना भाजपा को पूर्व निर्धारित चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ना है. बात मात्र जनहित की होगी और उसका सुफल तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) के चुनाव परिणाम की तरह बिहार में भी मिलेगा.रविवार को अमित शाह ने अपनी पार्टी नेताओं को लोक सभा चुनाव जीतने का ये मंत्र दिया है. उन्होंने समझाया कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में जाति आधारित गणना शोशा-मात्र बनकर रह गया. बिहार में हुई गणना में भी जनता को गड़बड़ी की आशंका है. जनता में विरोधियों की विश्वसनीयता कम हुई है. इसलिए भाजपा को परेशान होने की आवश्यकता नहीं. यह मुद्दा नहीं चलने वाला. इसके बावजूद यादव मतदाताओं से पूरी तरह से निराश नहीं होना है.

मुसलमानों का वोट भले ही भाजपा को न मिले, लेकिन यादव बिरादरी के कुछ वोट की आशा रखनी ही होगी. वोटिंग पैटर्न में यादवों को मुसलमानों के समतुल्य नहीं मानना है.जन-अपेक्षाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले की तरह खरे नहीं उतर रहे.नेतृत्व को लेकर विपक्ष में अनबन बढ़ने की आशंका है. यह भाजपा के पक्ष में जाएगा.विधान मंडल में महिला और मांझी के संदर्भ में नीतीश की अप्रिय टिप्पणी  भी काम आयेगी.इस बैठक में नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई और विधान मंडल की अप्रिय टिप्पणी भी उसी की परिणति बताई गई.

इस बैठक में ये तय हुआ कि  चुनावी तैयारी पहले की तरह जारी रहेगी और अपेक्षा के अनुरूप उसमें समय-समय पर परिर्वतन होता रहेगा. केंद्रीय कार्यक्रम, लोकसभा प्रवास कार्यक्रम आदि की गति को तेज होगी.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लगातार तीसरी चुनावी जीत के लिए शाह बिहार विजय को अत्यंत आवश्यक बता गए हैं. अपेक्षाकृत कठिन प्रतीत होने वाले लोकसभा क्षेत्रों में उन्होंने पार्टी नेताओं को विशेष प्रयास का निर्देश दिया है.उन्होंने समझाया है कि पिछली जीत के समय नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे. जीतन राम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को साथ लेकर नीतीश की कमी की भरपाई का प्रयास है, लेकिन लोजपा के दोनों (पशुपति कुमार पारस व चिराग) धड़ों में सामंजस्य की कठिन चुनौती है.

Amit Shah Bihar Visit