सिटी पोस्ट लाइव :राहुल गांधी अभीतक ये तय नहीं कर पाए हैं कि उन्हें आरजेडी से लड़ना है या बीजेपी से.चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अपने बूते पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को संशय में डाल दिया है.राहुल गांधी ने बिहार चुनाव को लेकर जो नई टीम बनाई है, उसने वगैर प्रदेश अध्यक्ष को भरोसे में लिए अपना कायक्रम घोषित करना शुरू कर दिया है.नई टीम ने वगैर प्रदेश अध्यक्ष के संज्ञान के उनकी अनुपस्थिति सदाकत आश्रम से यात्रा की शुरुवात करने का ऐलान कर दिया.प्रदेश अध्यक्ष ने प्रदेश कांग्रेस कमिटी की जो सूची आलाकमान के पास भेजी है, उसे ठन्डे बसते में डाल दिया गया है.प्रदेश अध्यक्ष की समझ में नहीं आ रहा है कि वो चुनाव की तैयारी करें या अपनी पार्टी के द्वारा अपने खिलाफ चलाई जा रही मुहीम का मुकाबला करें.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर रामजतन सिन्हा कहते हैं-“ पहले राहुल गांधी को ये तय करना होगा कि उन्हें बीजेपी से लड़ना है या आरजेडी से.आखिरी समय अकेले चुनाव लड़ने का फैसला आत्मघाती होगा.अकेले लड़ना था तो इसकी तैयारी चार साल पहले शुरू हो जानी चाहिए थी.उनका भी मानना है कि पार्टी की नई टीम प्रदेश अध्यक्ष को भरोसे में लेकर काम नहीं कर रही है.उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बिहार आने से पार्टी का वोट जरुर बढेगा लेकिन उसे मतदान केंद्र तक पहुंचाने में स्थानीय नेताओं की अहम् भूमिका होगी.बाहरी नेता चुनाव में कमाल नहीं दिखा सकते.उनका मानना है कि नई टीम को प्रदेश अध्यक्ष को भरोसे में लेकर काम करना चाहिए.आपस में लड़ने से तो बीजेपी को फायदा हो जाएगा.
गौरतलब है कि बिहार में पिछले महीने 18 दिन के अंदर दोबार राहुल गांधी पटना आ चुके हैं.उसके बाद उन्होंने बिहार का प्रभारी बदल दिया.अपने सबसे भरोसेमंद कृष्णा अलावारु को प्रभारी बना दिया.नये प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष को भरोसा में लिए वगैर काम कर रहे हैं.उन्होंने कन्हैया कुमार और गरीब दास जैसे युवा नेताओं को आगे ला दिया है.कन्हैया कुमार के नेत्रित्व में यात्रा की शुरुवात कर दी है.रामजतन सिन्हा कहते हैं-“ कृष्णा राहुल गांधी के करीबी हैं.वो पूरा पॉवर लेकर आये हैं.लेकिन अति-उत्साह के साथ काम कर रहे हैं.उन्हें प्रदेश अध्यक्ष को भरोसे में लेकर काम करना चाहिए.