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नयी दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को अपने नेता सैम पित्रोदा की चीन संबंधी टिप्पणी से दूरी बनाते हुए कहा कि ये पार्टी के विचार नहीं हैं तथा चीन भारत के लिए सबसे बड़ी बाह्य सुरक्षा और आर्थिक चुनौती बना हुआ है। दरअसल, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कथित तौर पर कहा कि वह नहीं समझते कि भारत को चीन से कितना खतरा है, उन्होंने दावा किया कि इसे अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, चीन के संबंध में श्री सैम पित्रोदा द्वारा कथित रूप से व्यक्त किए गए विचार निश्चित रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार नहीं हैं।
उन्होंने कहा,चीन हमारी विदेश नीति, बाहरी सुरक्षा और आर्थिक चुनौती के मामले में सर्वोच्च प्राथमिकता बना हुआ है। कांग्रेस ने चीन के प्रति मोदी सरकार के रवैये पर बार-बार सवाल उठाए हैं, जिसमें 19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से चीन को क्लीन चिट देना भी शामिल है। रमेश ने कहा, यह भी अत्यंत खेदजनक है कि संसद को स्थिति पर चर्चा करने तथा इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए सामूहिक संकल्प व्यक्त करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है।
भाजपा ने पित्रोदा की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पित्रोदा ने जो कहा है वह कांग्रेस की मानसिकता का प्रतीक है और पित्रोदा की टिप्पणी कांग्रेस नेताओं के चीन के समर्थन वाले बयानों के अनुरूप है। 28 जनवरी को अपने बयान में रमेश ने कहा था कि कांग्रेस मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंधों को सामान्य करने की घोषणा को ऐसे समय में देख रही है जब 21 अक्टूबर, 2024 के सैनिकों की वापसी समझौते के बारे में अभी भी कई अनुत्तरित प्रश्न हैं।
यह बयान विदेश सचिव की हाल की बीजिंग यात्रा के बाद नई दिल्ली और बीजिंग के बीच दोनों राजधानियों के बीच सीधी उड़ानें, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, उदार वीजा व्यवस्था और अन्य उपायों सहित वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति के बाद आया है। उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने अभी तक देश को संतोषजनक ढंग से यह नहीं समझाया है कि चीन के साथ संबंध सामान्य करने का यह सही समय है।
रमेश ने अपने बयान में सरकार से कई सवाल पूछते हुए कहा था, जब से चीन ने पूर्वी लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया है, जिस पर मई 2020 तक भारतीय गश्ती दल की पहुंच थी, तब से देश के लोग और सशस्त्र बल यह मानते रहे हैं कि भारत सरकार को पहले जैसी यथास्थिति बहाल करने पर जोर देना चाहिए।
सैम पित्रोदा के बयान पर भाजपा का पलटवार
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के चीन के समर्थन में दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सोमवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सैम पित्रोदा के बयान को गलवान घाटी में बलिदान हुए जवानों का अपमान बताया। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान में बोल जरूर सैम पित्रोदा के अपने हैं लेकिन संगीत जॉर्ज सोरोस का है।
सैम पित्रोदा राहुल गांधी के गुरु हैं। राहुल गांधी ने पीपुल्स लिबरेशन पार्टी आॅफ चाइना के साथ एक गुप्त संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं। राजीव गांधी ने चीन से फंड लिया था। जवाहर लाल नेहरू ने अक्साई चिन और यूएनएससी में भारत की सीट चीन को दे दी। कांग्रेस और चीन की दोस्ती काफी पुरानी है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले कर्ज के दबाव में यह बोल रहे हैं। क्या यह गलवान के शहीदों का अपमान है या नहीं? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व पटल पर शक्तिशाली हो रहा है। ऐसे में अनेक शक्तियां इसे रोकने की साजिश रच रही हैं।
ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का बयान चीन के संबंध का इजहार कर रहा है। यह भारत की आस्मिता पर गहरा आघात है। उन्होंने कहा है कि चीन के साथ कोई विवाद नहीं है। यह कोई आइसोलेटेड विचार नहीं है। राहुल गांधी ने भी इसी तरह के कई बयान दिए हैं। सुधांशु ने आरोप लगाया कि भारत में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए गठबंधन किया जा रहा है। गौरव गगोई का संबंध इससे भी पता चलता है।
विदेशी शक्ति के लिए कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान है। साथ ही ये भारत में लड़ाने का काम करते हैं। राहुल गांधी के बयान भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने के लिए है। उल्लेखनीय है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा था कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है।
मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, न कि टकराव करें। हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। यह न केवल चीन के लिए, बल्कि सभी के लिए अनुचित है।