सिटी पोस्ट लाइव
सारस्वती पूजा, जो ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती को समर्पित होती है, भारत भर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, असम और बिहार जैसे राज्यों में बहुत धूमधाम से होती है। कुछ क्षेत्रों में इसे ‘बसंत पंचमी’ भी कहा जाता है।
देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला, और बुद्धिमत्ता की देवी मानी जाती हैं। उन्हें अक्सर सफेद साड़ी में, हाथ में वीणा लिए हुए, शांत और प्रेरणादायक मुद्रा में दिखाया जाता है। उनके पास किताबें और माला होती हैं और वह एक कमल पर विराजमान होती हैं, जबकि उनके पास एक हंस भी होता है।
2025 में सरस्वती पूजा का दिन और समय
इस वर्ष सरस्वती पूजा 2 फरवरी को मनाई जाएगी। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि पूजा 3 फरवरी को होनी चाहिए, लेकिन ड्रिक पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी 2 फरवरी को है। पूजा का सही मुहूर्त 07:09 AM से 12:35 PM तक रहेगा।
सरस्वती पूजा का मुहूर्त (2025):
तिथि | समय | विवरण |
---|---|---|
बसंत पंचमी | 2 फरवरी, रविवार | मुहूर्त: 07:09 AM से 12:35 PM तक |
पंचमी तिथि आरंभ | 9:14 AM (2 फरवरी, 2025) | |
पंचमी तिथि समाप्ति | 6:52 AM (3 फरवरी, 2025) | |
मध्यान्ह काल | 12:35 PM | बसंत पंचमी का मध्य काल |
सरस्वती पूजा की परंपराएँ
सरस्वती पूजा की परंपराएँ भारत के विभिन्न हिस्सों में थोड़ी भिन्न हो सकती हैं, लेकिन मुख्य रूप से पूजा की प्रक्रिया समान होती है। पूजा करने की विधि :-
1. पूजा स्थान की तैयारी:
- पूजा के लिए एक स्थान पर माँ सरस्वती की मूर्ति रखें, जिसे मिट्टी या संगमरमर से बनाया गया हो।
- मूर्ति को फूलों से सजाएं, विशेष रूप से गेंदा और कमल के फूलों से।
- जिन किताबों, पेंसिल, और कागजों का आप रोज़ उपयोग करते हैं, उन्हें पूजा स्थल के पास रखें क्योंकि यह माना जाता है कि इससे देवी सरस्वती का आशीर्वाद उन वस्तुओं पर आता है।
2. पीला रंग पहनना:
- इस दिन विशेष रूप से पीला या संतरी रंग पहनने की परंपरा है। पीला रंग ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
3. पूजा विधि:
- पूजा शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठें, preferably ब्राह्म मुहूर्त में, और स्नान करके शरीर को शुद्ध करें।
- फिर पूजा स्थल को फूलों, माला, मिठाई और फल से सजाएं।
- पूजा के दौरान धूप, घी का दीपक जलाएं और देवी सरस्वती के मंत्र का जाप करें।
- आमतौर पर पूजा में सबसे पहले सारस्वती वंदना की जाती है, इसके बाद अन्य दैनिक पूजा की रस्में होती हैं।
- घर में विशेषकर बच्चों को, जो अध्ययन कर रहे हैं, सुबह जल्दी उठाकर अपनी किताबें साफ करने के लिए कहा जाता है और फिर उन्हें पूजा में बैठने के लिए प्रेरित किया जाता है।
सरस्वती पूजा का विशेष महत्व उन लोगों के लिए है जो शिक्षा, कला, संगीत और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। यह दिन माँ सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम अवसर माना जाता है। बता दें इस वर्ष सरस्वती पूजा 2 फरवरी को मनाई जाएगी, और पूजा का मुहूर्त सुबह 07:09 AM से 12:35 PM तक रहेगा। पूजा के दौरान लोग देवी सरस्वती के आशीर्वाद के लिए उनके नाम का जाप करते हैं और उनकी पूजा करते हैं, ताकि वे ज्ञान और रचनात्मकता में सफलता प्राप्त कर सकें।