राबड़ी आवास से लेकर चिराग तक का ‘दही–चूड़ा’ भोज,क्या निकलेगा सियासी संदेश?

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : आज मकर संक्रांति का दिन है.आज का दिन बिहार की सियासत के लिए बेहद अहम् होता है.बिहार में दही–चूड़ा सिर्फ खाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दही–चूड़ा भोज के जरिए बड़े बड़े सियासी उलटफेर होते रहे हैं.बड़े सियासी संदेश भी दिए जाते रहे हैं.पिछले साल  2024 में राबड़ी आवास पर दही–चूड़ा भोज था. सीएम नीतीश दही–चूड़ा खाने पैदल चलते हुए राबड़ी आवास तक पहुंचे थे. उस वक्त नीतीश कुमार के पलटी मारने की चर्चाएं तेज थीं. 15 जनवरी को नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के घर जाकर दही-चूड़ा तो खाया लेकिन 28 जनवरी को लालू प्रसाद का साथ छोड़ दिया और एक बार फिर बीजेपी के साथ सरकार बना ली.

इस बार राबड़ी आवास में 14 जनवरी को दही–चूड़ा का भोज आयोजित  है. इसी साल बिहार विधानसभा चुनाव भी है. एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार को लेकर अलग–अलग कयास लगाए जा रहे हैं.सीएम नीतीश कुमार के आरजेडी से हाथ मिलाने को लेकर कुछ ही दिनों पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, ‘नीतीश आते हैं तो साथ काहे नहीं लेंगे. ले लेंगे, साथ. नीतीश साथ में आएं, काम करें.हालांकि, नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के ऑफर को 2 बार 11 जनवरी को गोपालगंज और 12 जनवरी को मुजफ्फरपुर में ठुकराया दिया है.

उन्होंने कहा कि ‘2 बार हमको गलती से उन लोगों के साथ जोड़ दिया. वो लोग कोई काम किया है क्या? पहले बिहार में महिलाओं की ऐसी स्थिति थी क्या? मैंने ही जीविका नाम दिया. हमारी पहल के बाद केन्द्र ने भी जीविका दीदी नाम रखा. हम घूमकर देखते हैं कोई कमी है तो उसे पूरा करते हैं.

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने 15 जनवरी को अपने आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन रखा है. इसमें लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को भी निमंत्रण भेजा है.लोजपा (रामविलास) की ओर से चिराग पासवान ने शहीद पीर अली खां मार्ग स्थित पार्टी कार्यालय में 14 जनवरी को भोज का कार्यक्रम रखा  है. नगर विकास एंव आवास विभाग के मंत्री नितिन नवीन ने 15 जनवरी को अपने आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया है.कांग्रेस का लीगल सेल 14 जनवरी को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में दही-चूड़ा भोज का आयोजन कर रहा है.डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने 13 जनवरी को अपने आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया. इसमें सीएम नीतीश कुमार भी पहुंचे.

जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर खरमास के पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि ‘ नीतीश कुमार 14 जनवरी को दही-चूड़ा खा लें, उसके बाद एक अणे मार्ग में उनको दही-चूड़ा नसीब नहीं होगा, कोई भी बिहार का मुख्यमंत्री बने लेकिन नीतीश कुमार नहीं बनेंगे.दही-चूड़ा भोज को पॉलिटिकल भोज बनाने का श्रेय आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को जाता है. उनसे पहले जगन्नाथ मिश्रा जब मुख्यमंत्री थे तब अपने आवास 2 सर्कुलर रोड में दही-चूड़ा भोज दिया करते थे.रामविलास पासवान भी दही-चूड़ा का भोज लोगों को देते थे. कांग्रेस नेता रामदेव राय का दही-चूड़ा भोज काफी प्रसिद्ध था. गया के कांग्रेस नेता अवधेश कुमार सिंह, हार्डिंग रोड वाले आवास पर दही चूड़ा भोज देते थे.

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी यह भोज देना शुरू किया. जगन्नाथ मिश्रा सरीखे नेता दही-चूड़ा भोज और इफ्तार पार्टी देते थे. लालू प्रसाद दही-चूड़ा भोज, इफ्तार पार्टी के साथ ही होली भी अपने आवास पर खूब मन से मनाते थे.अस्वस्थ्य होने के बाद से लालू प्रसाद अब दही–चूड़ा में पहले की तरह एक्टिव नहीं दिखते. 2024 में लालू प्रसाद दही-चूड़ा खिलाने के लिए बजाय शेड के नीचे लकड़ी जलाकर बैठे दिखे. एक वक्त लालू पत्रकारों को फोन कर दही-चू़ड़ा का निमंत्रण देते थे–‘आबे का बा दही-चूड़ा खाए खातिर.

दूध-दही का बड़ा कारोबार यादव जाति से जुड़ा है. अभी भी गाय-भैंस ज्यादातर यादव जाति के लोग ही पालते हैं. लालू प्रसाद इस पर्व को खूब मगन से इसलिए भी मनाते रहे कि यह उन्हें यादवों के करीब लाता था. बिहार में हुई जाति गणना में यादवों की आबादी 14.26 फीसदी है. इस कोर वोट बैंक को लालू प्रसाद ने एकजुट रखा.अभी भी लालू प्रसाद यादवों के एकछत्र नेता हैं. अपनी यह राजनीतिक पूंजी उन्होंने तेजस्वी यादव को सौंप दी है.पिछले विधानसभा चुनाव में तो इसे तेजस्वी ने संभाल कर रखा. अब 2025 के विधान सभा चुनाव की चुनौती है. रामगढ़ और बेलागंज उपचुनाव के नतीजे से साफ़ है तेजस्वी यादव के सामने बड़ी चुनौती है.

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