क्या है भारत और दूसरे देशों काम के घंटे का हाल!

Manisha Kumari

सिटी पोस्ट लाइव

दिल्ली: भारत में इस समय सबसे ज्यादा चर्चा काम के घंटों को लेकर हो रही है। बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों के बयानों के कारण यह मुद्दा गरमाया हुआ है। इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति ने पहले यह बयान दिया था कि युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए। इसके बाद लार्सन एंड टूब्रो के प्रमुख एसएन सुब्रमण्यम सहित कई बड़े नामों ने काम के घंटों पर अपनी राय रखी है।

यह जानना जरूरी है कि भारत में लोग औसतन कितने घंटे काम करते हैं और इसका अन्य देशों के आंकड़ों से क्या फर्क है। क्या भारत में काम के घंटे ज्यादा हैं? आइये जानते हैं।

भारत में औसतन काम के घंटे

आईएलओ (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन) के 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, भारत उन देशों में शामिल है जहां लोगों के काम के घंटे सबसे ज्यादा हैं। औसतन भारत में लोग प्रति सप्ताह 46.7 घंटे काम करते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 51% भारतीय कर्मचारी 49 घंटे या उससे अधिक काम करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय आंकड़े:

भारत के मुकाबले कम काम करने वाले देश:

  • वनुआतु (ओशियानिया): 24.7 घंटे प्रति सप्ताह
  • किरिबाती (ओशियानिया): 27.3 घंटे प्रति सप्ताह
  • माइक्रोनीशिया (ओशियानिया): 30.4 घंटे प्रति सप्ताह
  • रवांडा (अफ्रीका): 30.4 घंटे प्रति सप्ताह
  • सोमालिया (अफ्रीका): 31.4 घंटे प्रति सप्ताह

जी7 देशों में काम के घंटे

  • अमेरिका: औसतन 38 घंटे प्रति सप्ताह
  • ब्रिटेन: 35.8 घंटे प्रति सप्ताह
  • जापान: 36.6 घंटे प्रति सप्ताह
  • जर्मनी: 34.2 घंटे प्रति सप्ताह

ब्रिक्स देशों में काम के घंटे

  • भारत: 46.7 घंटे प्रति सप्ताह
  • ब्राजील: 39 घंटे प्रति सप्ताह
  • रूस: 39.2 घंटे प्रति सप्ताह
  • चीन: 46.1 घंटे प्रति सप्ताह
  • दक्षिण अफ्रीका: 42.6 घंटे प्रति सप्ताह

बड़े उद्योगपतियों की राय

नारायण मूर्ति (इंफोसिस) – नारायण मूर्ति ने कहा कि युवाओं को अधिक घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से मुकाबला करना चाहते हैं, तो हमें अधिक मेहनत करनी होगी।

अनुपम मित्तल (शादी डॉट कॉम) – उन्होंने कहा कि ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ से पूरी पीढ़ी बर्बाद हो रही है। मित्तल का मानना है कि युवा पेशेवरों को अपने करियर के शुरुआती वर्षों में अधिक काम करना चाहिए।

नमिता थापर (एमक्योर फार्मा) – नमिता ने कहा कि संस्थापकों और कर्मचारियों की जिम्मेदारियां अलग होती हैं। कर्मचारियों से ज्यादा काम करने की उम्मीद करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

भाविश अग्रवाल (ओला) – भाविश ने नारायण मूर्ति के विचारों से सहमति जताई और कहा कि हमें भी अपनी पीढ़ी में वही बदलाव लाना चाहिए जो अन्य देशों ने किया।

शांतनु देशपांडे (बॉम्बे शेविंग कंपनी) – उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि उन्हें शुरुआती वर्षों में खुद को पूरी तरह से काम में समर्पित कर देना चाहिए।

गौतम अदाणी – अदाणी ने कहा कि यदि आप जो काम करते हैं, वह पसंद आता है, तो आपका वर्क-लाइफ बैलेंस अपने आप सही हो जाता है।

अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों की राय

एलन मस्क
एलन मस्क ने ट्विटर के कर्मचारियों से 80 घंटे प्रति सप्ताह काम करने को कहा था, हालांकि अमेरिका में सख्त श्रमिक कानूनों के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका।

देशों के औसत काम के घंटे का तुलना:

देशऔसत काम के घंटे प्रति सप्ताह49 घंटे से अधिक काम करने वाले कर्मचारी (%)
भारत46.751%
अमेरिका3813%
ब्रिटेन35.811%
जापान36.6
जर्मनी34.2
वनुआतु24.74%
किरिबाती27.310%
माइक्रोनीशिया30.42%


भारत में औसतन काम के घंटे दुनिया के अन्य देशों की तुलना में अधिक हैं। इस संदर्भ में, भारत में काम के घंटे बढ़ाने की चर्चा कुछ उद्योगपतियों द्वारा की जा रही है, जबकि काम और जीवन के संतुलन पर भी बहस चल रही है।

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