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पटना: पूर्व मंत्री आलोक मेहता के ठिकानों पर ED ने छापेमारी की और बड़ी मात्रा में महत्वपूर्ण दस्तावेजों और कागजात को बरामद किया। इस छापेमारी में कई बैंक खातों और लेन-देन से संबंधित कागजात के साथ-साथ करीब 30 जमीनों के डीड और निजी कंपनियों में हिस्सेदारी के कागजात भी मिले हैं। इसके अलावा, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस और विभिन्न निवेशों से संबंधित दस्तावेज भी ED ने कब्जे में लिए हैं।
ED के सूत्रों के मुताबिक, ये दस्तावेज संभवतः एक बड़े घोटाले से जुड़े हैं, जिसमें बैंक से जुड़े फर्जी लेन-देन की जांच की जा रही है। जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि किस स्तर पर और कितनी गड़बड़ी की गई है। विशेष रूप से, आलोक मेहता के बैंक खातों से हुई वित्तीय गड़बड़ी की पूरी जांच की जाएगी ताकि मनी ट्रेल का खुलासा हो सके।
इस मामले में ED ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें वाराणसी से विपिन तिवारी, गाजीपुर से राम बाबू शांडिल्य, दिल्ली से नितिन मेहरा और कोलकाता से संदीप सिंह शामिल हैं। इन आरोपियों के खिलाफ 85 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है, जो वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक में ऋण वितरण के नाम पर की गई थी। इसके अलावा, ED ने जांच में कई और गिरफ्तारियों का संकेत दिया है। विपिन तिवारी और राम बाबू शांडिल्य को शनिवार को पटना स्थित ED की विशेष कोर्ट में पेश किया गया और जेल भेजा गया। अब ED इन दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
पूर्व मंत्री आलोक मेहता को भी ED ने समन भेजा है और उनसे पटना स्थित कार्यालय में पूछताछ की जाएगी। वहीं, सहकारी बैंक के अध्यक्ष संजीव कुमार फरार हैं और उनकी तलाश तेज़ कर दी गई है। संजीव को आलोक मेहता का करीबी माना जाता है, और यह भी कहा जा रहा है कि आलोक मेहता ने ही उन्हें बैंक का अध्यक्ष बनवाया था ताकि अप्रत्यक्ष रूप से बैंक पर उनका पूरा नियंत्रण बना रहे।