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चैनपुर । सरकार के द्वारा गांव-गांव में पानी का सुविधा कर रही है। लेकिन चैनपुर अनुमंडल अंतर्गत जारी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूर घने जंगलों के तलहटी पर बसे उरईकोना गांव है। जहां आदिम जनजाति के लगभग 20 परिवार निवास करते हैं। आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद भी कोरबा समुदाय के लोग झरने का पानी पीने को बिवस है। गांव में एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जलमिनर का निर्माण कराया गया था। लेकिन एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत गांव में लगे जल मीनार हाथी का दांत साबित हो रहा है।
इस गांव के लोग सुबह होते ही पानी का व्यवस्था करने में लग जाते हैं। बूढ़े से लेकर बच्चे तक डेचकी, बाल्टी सहित अन्य बर्तनों को लेकर झरने पर जाते हैं। और पीने, नहाने व धोने के लिए पानी ढोकर अपने घर लाते हैं। गांव के ही कलेश्वर कोरवा, राजेश्वर कोरवा, सीनू कोरबा, नवासाय कोरबा, झिरो कोरबा, किसनु कोरबा। रामप्रसाद, कोरवा ने बताया कि कई बार प्रशासन से हम सभी गांव में पानी की समस्या को लेकर कितने बार बात रखी। लेकिन हमारे गांव में जल का व्यवस्था नहीं हो सका है। हम सभी गांव के ग्रामीण पानी के लिए दर-दर भटकते रहते हैं।
गर्मी के दिनों में तो और भी भारी समस्या होती है। जमाना कहां से कहां चला गया। और हम कोरवा जाति के लोग आज भी झरने का पानी व चुआ का पानी ही पीते हैं। प्रशासन ठीक-ठाक तरीका से गांव में पानी का व्यवस्था कर दें। ताकि हम सभी ग्रामीणों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। यदि जल्द से जल्द पानी की व्यवस्था नहीं की जाती है तो हम सभी गांव के ग्रामीण जिला के प्रशासन के पास अपनी समस्या को लेकर जाएंगे।