BPSC Re-exam: हाईकोर्ट में याचिका मंजूर, 15 को होगी सुनवाई

फ़ैसला आने तक रिज़ल्ट पर रोक लगाने की मांग

Deepak Sharma

सिटी पोस्ट लाइव

पटना: बीपीएससी 70वीं पीटी परीक्षा को फिर से कराने की मांग को लेकर पटना हाईकोर्ट में कल दायर हुई याचिका को हाईकोर्ट ने मंज़ूर कर लिया है। कल यानी गुरुवार को यह याचिका जन सुराज की ओर से दायर की गई थी। आज हाईकोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया है। हाईकोर्ट में 15 जनवरी को मामले की सुनवाई होगी।

बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा रद्द किए जाने के मांग को लेकर आज माननीय उच्च न्यायाधीश के समक्ष याचिका को मेंशन किया गया। याचिका को मेंशन करने के दौरान यह गुहार लगाई गई कि जल्द पूरे मामले में सुनवाई की जाए। बता दें कि बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा रद्द किए जाने को लेकर पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। याचिका अधिवक्ता प्रणव कुमार ने दायर की है।

याचिका में पटना उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि जब तक इस मामले में कोई फैसला नहीं हो जाए तब तक रिजल्ट पर रोक लगा दी जाए, याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भारी गड़बड़ी हुई है। इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।

बता दें कि मशहूर वकील वाईवी गिरि ने कल सिटी पोस्ट लाइव से खास बातचीत में कहा कि उनके पास पूरे सबूत हैं और उनका अनुभव यह कहता है कि बीपीएससी अभ्यर्थियों को न्याय मिलकर रहेगा। हाईकोर्ट सुनवाई के बाद जांच का आदेश दे सकता है। मेरा अनुभव यह कहता है कि रीएग्ज़ाम होकर रहेगा।

वाईवी गिरि ने कहा कि वे इस बात के पुख्ता सबूत हाईकोर्ट में पेश करेंगे कि कैसे परीक्षा के दौरान माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर प्रश्नपत्र सर्कुलेट होने लगा। कैसे परीक्षार्थियों के सामने प्रश्नपत्र नहीं खोले गए। वाईवी गिरि ने यह भी कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि बिहार लोक सेवा आयोग के कुछ अधिकारियों की इसमें संलिप्तता है। अब जब आयोग के अधिकारियों की ही मिलीभगत की खबर आ रही है, तो आयोग फिर कैसे जांच करेगा। बिहार लोक सेवा आयोग पर ही तो आरोप लग रहे हैं।

वाईवी गिरि ने कहा कि सरकार की एजेंसियों के पास भी इस बात की जानकारी है कि 70वीं पीटी परीक्षा में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि लगता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक सही जानकारी नहीं पहुंचने दी जा रही है, वरना सरकार रीएग्ज़ाम का फ़ैसला अब तक ले लेती। परीक्षा में साफ़ गड़बड़ी हुई है, ऐसे में रीएग्ज़ाम कराने में क्या दिक्कत हो सकती है।

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