कांग्रेस के लिए तेजस्वी का दरवाजा हो सकता है बंद, चाचा नीतीश के हाँ का इंतज़ार.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में विधान सभा चुनाव को लेकर दोनों गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच  प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू है.आरजेडी ने कांग्रेस की सीटों में बड़ी कटौती का संकेत दे दिया है . तेजस्वी राहुल को भी आंख दिखा चुके हैं. कांग्रेस को साफ-साफ कह चुके हैं कि अपना रास्ता देख लो.नीतीश कुमार के लिए अपना दरवाजा खोल कर रखा है. नीतीश कुमार को लेकर सबके जेहन में एकबार फिर से ये सवाल है- नीतीश कुमार फिर पलटी मारेंगे?लालू यादव ने इसका संकेत दे दिया है.तेजस्वी यादव सबकुछ चुपके चुपके करना चाहते थे लेकिन लालू जी ने पर्दा हटा दिया.

 

बिहार में  इसी साल विधानसभा चुनाव है. सबकी निगाहें फिर से नीतीश कुमार पर हैं. लालू यादव तो साफ कह चुके हैं कि नीतीश कुमार के लिए उनका दरवाजा खुला है. जबकि तेजस्वी यादव  अभी पर्दा डालने की कोशिश में जुटे हैं ताकि उनका डर दिखाकर चाचा बीजेपी के साथ सौदा न कर लें. तेजस्वी यादव राहुल गांधी के कांग्रेस को भी सीधा संदेश दे चुके हैं. या तो राजद की बात मानकर पिछलग्गू बने रहिए, वरना हाथ जोड़िए और पीछा छोड़िए. ऐसे में लोग कन्फ्यूज हैं कि पिता-पुत्र दोनों अलग-अलग चाल क्यों चल रहे हैं? दरअसल,आरजेडी हर सियासी संभावना का गेट खोलकर रखना चाहती है. कांग्रेस को फटकारने के पीछे तेजस्वी की एक सोची-समझी चाल है. या यूं कहिए कि तेजस्वी यादव की प्रेशर पॉलिटिक्स.

 

तेजस्वी यादव को खूब पता है कि कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर है. हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में हार से कांग्रेस टूटी हुई है. इंडिया गठबंधन के अन्य साथी उसे घेर रहे हैं. ममता बनर्जी हों, अरविंद केजरीवाल हों या अखिलेश यादव, सभी के टारगेट पर राहुल गांधी और कांग्रेस ही है. कांग्रेस के कई नेता यह इशारा कर चुके हैं कि कांग्रेस अब राजद की पिछलग्गू नहीं बनकर रहना चाहती. बिहार में 1990 के बाद से कांग्रेस राजद की पिछलग्गू बनकर रही है. राजद के बगैर उसका सियासी वजूद बिहार में कभी रहा ही नहीं. मगर अब कांग्रेस अपने पैरों पर खड़े होकर चलना चाहती है. इसलिए कांग्रेस तेवर दिखा रही है. वह साफ-साफ कह चुकी है कि उसे पिछली बार जितनी ही 70 सीटें चाहिए.

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