सिटी पोस्ट लाइव : जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के कई विडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं.लोग प्रशांत किशोर को खूब ट्रोल कर रहे हैं.एक विडियो में प्रशांत किशोर से छात्र जेपी गोलम्बर पर धरने पर बैठ जाने का आग्रह कर रहे हैं.उनके सामने हाथ जोड़ रहे हैं, आग्रह कर रहे हैं लेकिन प्रशांत किशोर उन्हें छोड़कर गांधी मैदान गांधी मूर्ति के पास चले जाते हैं.वहीँ 45 मिनट अपने समर्थकों के साथ बैठे रहते हैं.तेजस्वी यादव और पप्पू यादव तो सवाल उठा ही रहे हैं कि प्रशांत किशोर छात्रों को छोड़कर क्यों भाग गये.प्रशांत किशोर के जन-सुराज से जुड़े लोग भी इसे प्रशांत किशोर की सबसे बड़ी राजनीतिक भूल मान रहे हैं.उनका भी मानना है कि छात्रों को छोड़कर प्रशांत किशोर को नहीं जाना चाहिए था.जन-सुराजी प्रशांत किशोर की इस भूल से मायूस हैं.उनके जेहन में केवल एक ही सवाल है-क्या जन-सुराज इसकी क्षतिपूर्ति कर पायेगा?
ऐसा नहीं है कि प्रशांत किशोर को अपनी गलती का अहसास नहीं है.वो आज दिनभर डैमेज कण्ट्रोल करने में जुटे रहे.जन-सुराजियों के साथ सलाह मशविरा करते रहे.10 छात्रों के समूह को साथ लेकर उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस किया.उन्होंने ये संदेश देने की कोशिश किया कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है.छात्रों से सलाह मशविरा के बाद ही वो जेपी गोलम्बर से लौट गये थे.प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव और पप्पू यादव पर भी बरसे.उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव और पप्पू यादव ही सामने आकर छात्रों का नेत्रित्व क्यों नहीं करते.घर में बैठकर ट्वीट करने से छात्रों की समस्याओं का समाधान खोज रहे हैं.पप्पू यादव के बारे में कहा कि चुनाव में उनके दरवाजे पर हाथ जोड़कर खड़े होकर मदद मांगने आते थे, आज ज्ञान दे रहे हैं.
जन-सुराज के थिंक टैंक प्रोफेसर विजय कुमार भी मानते हैं कि प्रशांत किशोर में राजनीतिक परिपक्वता की कमी है.वो कहते हैं कि प्रशांत किशोर सहज हैं, सरल हैं और ईमानदारी से बिहार को बदलने में जुटे हैं.लेकिन वो ये भी मानते हैं कि मार्च का जो तरीका प्रशांत किशोर से चुना वह गांधी के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता. उन्हें कायदे से पंक्तिबद्ध होकर मार्च करना चाहिए था.सबके मुंह पर काली पट्टी और हाथों में एक स्लोगन लिखा पोस्टर होना चाहिए था.पुलिस लाठीचार्ज में घायल छात्रों को भी स्ट्रेचर पर मार्च में शामिल करना चाहिए था.प्रोफेसर साहेब धरनास्थल से प्रशांत किशोर के लौट जाने को गलत नहीं मानते.उनका कहना है कि जब तय हो गया कि एक डेलिगेशन मुख्य सचिव से मिलेगा तब प्रशांत किशोर लौटे.प्रोफेसर साहेब लाख सफाई दें लेकिन उनकी चिंता चेहरे पर साफ़ नजर आती है.वो जन-सुराज के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.उन्हें भी लगता है कि प्रशांत किशोर की ये राजनीतिक भूल कहीं उनके लिए राजनीतिक आत्म-हत्या साबित न हो जाए.