सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शायद ही कोई परीक्षा हो जिसका पेपर लीक ना हो.पिछले चार साल लगभग हर परीक्षा का पेपर लीक हुआ है. आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के DIG मानवजीत सिंह ढिल्लो के अनुसार 2012 से अब तक 10 पेपर लीक हो चुके हैं और ईन सभी मामलों की जांच चल रही है.अभीतक 545 लोग लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं.बिहार में BPSC, शिक्षक बहाली, सिपाही बहाली या राज्य स्तर की कोई भी परीक्षा हो, उसके क्वेश्चन पेपर पहले ही बाहर आ जाते हैं.
बिहार में परीक्षा माफिया का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. परीक्षा माफिया का कनेक्शन झारखंड, यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में फैला है. सरकारी इंटेलिजेंस और उनके तंत्र के फेल होने से परीक्षा माफिया और उनसे जुड़े लोगों के कदम बढ़ते जा रहे हैं.माफिया को प्रिंटिंग प्रेस में क्वेश्चन पेपर तक के छपने, उसे रखने और उसके ट्रांसपोर्टेशन तक की पूरी जानकारी होती है. पुलिसभी मानती है कि यह कारोबार सैकड़ों करोड़ का हो चूका है.एक अनुमान के अनुसार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का धंधा हो रहा है. माफिया परीक्षा और पोस्ट के हिसाब से कैंडिडेट्स को एग्जाम में रकम वसूलते हैं.
मानवजीत सिंह ढिल्लो के अनुसार 2012 से लेकर अब तक 10 पेपर लीक मामलों में 545 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, 249 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. बिहार में पेपर लीक मामलों को देखते हुए मॉडल एक्ट 2024 लाया गया था, जिसके बाद सीएचओ पेपर लीक केस सामने आया. इस मामले में आरोपियों पर इसी एक्ट के तहत धारा लगाया गया है.बिहार सरकार की ओर से जो एजेंसियां परीक्षा लेती हैं, उनको EOU कंसल्टेंसी प्रोवाइड कर रही है. अब EOU परीक्षा शुरू होने से पहले ऑनलाइन सेंटर्स की जांच करेगी. उसके कंप्यूटर से लेकर सर्वर तक की जांच होगी. परीक्षा कराने वाले संस्थान या सेंटर्स की संलिप्तता पेपर लीक मामले में पाई जाएगी तो उनकी चल-अचल संपत्ति भी जब्त की जाएगी.
इस रैकेट में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के लोग शामिल हैं. इसमें लोक सेवक और गैर लोक सेवक शामिल हैं. आर्थिक अपराध इकाई (EOU) संजीव मुखिया को तलाश रही है. सोमवार को उसकी गिरफ्तारी पर रोक हटने के बाद EOU ने कहा कि वो हमारे रडार पर है. उसकी संपत्ति भी जब्त की जाएगी. संजीव पहले सबसे बड़े परीक्षा माफिया रंजीत डॉन के लिए काम करता था, लेकिन पैसे कमाने का ऐसा चस्का लगा कि खुद बिहार का सबसे बड़ा परीक्षा माफिया बन गया.
संजीव मुखिया नालंदा जिले के यारपुर बलवापर गांव का रहने वाला है. नूरसराय के नालंदा कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर में टेक्नीशियन का जॉब कर रहा था. वह सेटिंग और पेपर लीक के गोरखधंधे के जरिए करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक बन गया है. उसकी संपत्ति पटना के अलावा दूसरे बड़े शहरों में भी है.नीट यूजी पेपर लीक मामले में नाम आने के बाद से फरार है. नीट पेपर लीक केस में जब आर्थिक अपराध इकाई की टीम जांच कर रही थी, तब ये गुजरात में छिपा था. मगर, जब केस CBI को ट्रांसफर कर दिया गया तो ये नेपाल भाग गया. संजीव के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई में तीन केस दर्ज हैं.
अतुल वत्स जहानाबाद के बंधुगंज का रहने वाला है. पहले यह परीक्षाओं में स्कॉलर बैठाता था. फिर ऑनलाइन परीक्षा में सिस्टम हैक करने लगा. 2017 में नीट पीजी का पेपर लीक किया. इसके बाद से लीक का सिलसिला शुरू हो गया.अतुल पटना, दिल्ली, राजस्थान में जेल भी जा चुका है. अभी फरार है। यूपी पुलिस में सिपाही बहाली की परीक्षा के पेपर लीक में माफिया रवि अत्री के पकड़े जाने के बाद अतुल वत्स का नाम सामने आया था. इस मामले के पहले से ही वत्स बिहार पुलिस की रडार पर है.BPSC TRE-3 (शिक्षक भर्ती परीक्षा) के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार विशाल कुमार उर्फ विशाल चौरसिया पहले ग्रामीण कार्य विभाग के प्लानिंग डिवीजन-2 में डिविजनल अकाउंटेंट के पद पर था. यह हाजीपुर का रहने वाला है.