तिरहुत स्नातक चुनाव: जनता का सबसे चहेता दल बना जन -सुराज, बढनेवाली है NDA-INDIA की चुनौती.

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सिटी पोस्ट लाइव : तिरहुत स्नातक एमएलसी के  उपचुनाव का नतीजा  बिहार के राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ानेवाला है. तमाम स्थापित दलों और गठबन्धनों को नकारते हुए लोगों ने जन-सुराज और निर्दलीय उम्मीदवार पर भरोसा जताया. शिक्षक नेता व निर्दलीय प्रत्याशी बंशीधर बृजवासी को लोगों ने अपना नेता चुन लिया.जहांतक राजनीतिक दलों की बात है ,स्थापित दलों और  दोनों गठबंधनों पर दो महीने पुरानी पार्टी जनसुराज का भारी पड़ना बहुत मायने रखता है.जन सुराज भले चुनाव हर गया लेकिन पहले नंबर का राजनीतिक दल तो बनने में उसे कामयाबी जरुर मिल गई. सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी तीसरे नंबर पर और  जेडीयू चौथे नंबर पर रहा.


इस चुनाव में बंशीधर ब्रजवासी को जीत हासिल हुई हैं, उन्हें कुल 27724 वोट आए और उन्हें विजयी घोषित कर दिया गया है. जीत का सर्टिफिकेट मिलते ही बंशीधर ब्रजवासी ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि ये जीत संघर्ष की जीत है. सरकार ने शिक्षकों को बहुत प्रताड़ित किया है. इसका जवाब शिक्षकों ने दिया है. इस जीत के बाद बंशीधर ब्रजवासी काफी उत्साहित हैं. अगर वंशीधर के दावों पर भरोसा करें तो आगामी विधान सभा चुनाव में तो जन सुराज ही सबके ऊपर भारी पड़ेगा.राजनीतिक दलों के बीच जन सुराज लोगों की पहली पसंद बनकर उभरा.

 बंशीधर ब्रजवासी शिक्षा विभाग और शिक्षकों से जुड़े मामलों को उठाकर खूब चर्चा में रहे. परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं बंशीधर ब्रजवासी.शिक्षकों और शिक्षा विभाग को लेकर ACS केके पाठक से भी ठन गई थी. केके पाठक के नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाना बंशीधर ब्रजवासी को भारी पड़ा था. पहले किये गये थे सस्पेंड, फिर जुलाई 2024 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. शिक्षकों ने चुनाव लड़ने के लिए मनाया. चंदा देकर बंशीधर ब्रजवासी को चुनाव लड़ाया. और चुनाव जीता भी दिया.जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के विधान परिषद से इस्तीफे के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था. इस उपचुनाव में कुल 17 उम्मीदवार थे. 5 दिसंबर को इस सीट के तहत शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और वैशाली में 197 बूथों पर करीब 48 फीसदी मतदान हुआ था.

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