सर्दी में गर्मी के एहसास से पैदा हो सकता है बड़ा संकट.

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सिटी पोस्ट लाइव : दिसंबर का महीना चल रहा है लेकिन सर्दी का नमो-निशान नहीं है. गेहूं, सरसों और चना जैसी रबी की फसलें अक्टूबर से दिसंबर तक बोई जाती हैं. इन फसलों को अच्छी पैदावार के लिए बढ़ने और पकने के समय ठंडे मौसम की जरूरत होती है. मौसम विभाग के अनुसार सर्दियों में सामान्य से ज्‍यादा तापमान रहेगा. यह दिसंबर से फरवरी तक रहेगा. इससे गेहूं, सरसों जैसी फसलों पर असर पड़ेगा. कम ठंड पड़ने से फसल की पैदावार कम हो सकती है.

 कम उत्पादन से भारत के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है. अपनी 1.4 अरब जनता के लिए सस्ती सप्‍लाई सुनिश्चित करने की खातिर उसे गेहूं आयात करना पड़ सकता है. दालों और खाद्य तेलों का आयात भी बढ़ सकता है.अभी तक किसानों को नाराज करने से बचने के लिए सरकार ने रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के बावजूद गेहूं आयात के लिए दबाव का विरोध किया है.गर्मी और असामान्य रूप से गर्म मौसम ने 2022 और 2023 में भारत के गेहूं उत्पादन को प्रभावित किया. इससे सरकारी भंडार में भारी कमी आई. दिल्ली में पिछले हफ्ते गेहूं की कीमतें 32,000 रुपये टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं. ये अप्रैल में 25,000 रुपये थीं. गेहूं की कीमतें पिछले सीजन की फसल के लिए सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 22,750 रुपये से कहीं अधिक है.


सप्‍लाई बढ़ाकर कीमतों को कम करने के लिए भारत अपने सरकारी भंडार से 25 लाख टन गेहूं आटा मिलों और बिस्‍कुट निर्माता जैसे थोक उपभोक्ताओं को बेचने की योजना बना रहा है. भारत को गेहूं आयात करना पड़ सकता है। दाल और तेल का आयात भी बढ़ सकता है. सरकार ने अभी तक गेहूं आयात नहीं किया है. वह किसानों को नाराज नहीं करना चाहती. गेहूं की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं. गेहूं के लिए तापमान बहुत जरूरी है. फसलों को अच्छी पैदावार के लिए ठंड की जरूरत होती है. रबी की फसलें अक्टूबर से दिसंबर तक बोई जाती हैं. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. पहले नंबर पर चीन है.

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