सिटी पोस्ट लाइव :बेगूसराय की साख दावं पर है. पुलिस पर एक हत्या के मामले को एक्सीडेंट का रूप देने का आरोप लग रहा है.में जुटी हुई है? बेगूसराय जिले के जिला परिषद क्षेत्र संख्या 18 के जिला परिषद सदस्य शिवचंद्र महतो पूर्व में जेडीयू के सक्रिय सदस्य थे. लेकिन पिछले 6 महीने पहले उन्होंने जन सुराज पार्टी को जॉइन किया था .आने वाले विधानसभा चुनाव में विधायक के टिकट के लिए भी प्रयासरत थे. इसी बीच शुक्रवार की शाम का शव तेघड़ा थाना क्षेत्र के पीढौली कुश्ती ढाला के समीप बरामद किया गया था. पुलिस के अनुसार, जब शिवचंद्र महतो अपनी बाइक से वापस लौट रहे थे उसी क्रम में किसी बड़ी वाहन की चपेट में आने से उनकी घटनास्थल पर ही मौत हुई थी.
आनन- फानन में स्थानीय लोगों ने उन्हें तेघरा अनुमंडलीय स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक जांच के बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया था. स्वास्थ्य महकमा भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि पोस्टमार्टम में बुलेट इंज्यूरी की बात नहीं बताई गई थी. लेकिन जब परिजनों ने देखा तो मृतक शिवचंद्र महतो के शरीर में तीन सुराख मौजूद थे. परिजनों की शिकायत के बाद शिवचंद्र महतो का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. दरअसल, कि परिजन जब शव को बरामद कर अंतिम संस्कार के लिए ले गये और जब चिता पर शिवचंद्र महतो के शव को लिटाया गया तो उसी वक्त परिजनों ने देखा कि उनके शरीर पर कई सुराख मौजूद थे. इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया. फुलवरिया थाना क्षेत्र के बागराहा डीह के समीप एनएच 28 को जामकर प्रदर्शन भी किया गया. परिजनों के हंगामा के बाद भी बाद पुलिस हरकत में आई और लोगों को समझा बुझाकर किसी तरह जाम को खाली करवाया एवं दोबारा पोस्टमार्टम का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया.
इस घटना के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर पूरा माजरा क्या है?सवाल ये उठ रहा है कि अगर तेघड़ा अनुमंडलीय स्वास्थ्य केंद्र में जब शिवचंद्र महतो की जांच की जा रही थी, क्या उस वक्त डॉक्टर ने शिवचंद्र महतो के शव में बुलेट इंज्यूरी की पुष्टि क्यों नहीं की गई? सवाल यह भी कि जब सदर अस्पताल में शिवचंद्र महतो का पोस्टमार्टम कराया गया तो आखिर चिकित्सकों ने वहां भी बुलेट इंज्यूरी की बात क्यों नहीं बताई? बता दें कि नियम के मुताबिक, पोस्टमार्टम में पूरे शरीर का अंत: परीक्षण किया जाता है. ऐसे में सवाल यह कि क्या बेगूसराय सदर अस्पताल में सुयोग्य चिकित्सक नहीं हैं? ऐसे कई सवाल अब लोगों के द्वारा उठाए जा रहे हैं.
पुलिस महकमे पर भी यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर हत्या जैसे मामले को पुलिस हादसे का रूप देने में क्यों जुटी हुई है? क्या पुलिस सिर्फ अपनी नाक बचाने के लिए बड़े मामलों में भी फेरबदल कर रही है. पूरा मामला सामने आने के बाद अब परिजनों के साथ-साथ राजनीतिक दल के लोग भी पुलिस विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग पर तमाम सवाल उठा रहे हैं. बहरहाल,अब देखने वाली बात होगी कि आखिर उक्त मामले का उद्भेदन कर पुलिस अपनी साख बचाने में कामयाब हो पाती है या फिर हत्या के मामले को दुर्घटना साबित करने के लिए दोषी साबित होती है.पुलिस की साख दावं पर है.