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पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को आज उनके चाचा पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने अपशब्द कहा। पशुपति पारस ने चिराग के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि चिराग ने उनके बड़े भाई रामविलास पासवान से उन्हें अंतिम समय में मिलने नहीं दिया। ऐसा कहते हुए पारस रोने भी लगे।
उन्होंने कहा कि कोरोना का बहाना बनाकर उन्हें रामविलास पासवान से मिलने से मना कर दिया गया जबकि रामविलास पासवान बार-बार मुझे खोज रहे थे कि पारस कहां है और प्रिंस कहां है।
पशुपति पारस ने दावा किया कि कोरोना का बहाना बनाकर हमें और हमारे परिवार के सदस्य को बड़े भाई से मिलने नहीं दिया गया, जबकि वह अंतिम समय में सभी परिवारजनों को खोज रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि जो जैसा करेगा, वैसा फल मिलेगा।
चिराग का जवाब
इससे पहले, 28 नवंबर को चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस पर तीखा बयान दिया था। चिराग ने कहा था कि वह हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग हैं, लेकिन उनकी ओर से अलग होने का निर्णय अकेले लिया गया था। मेरी मां से हर रिश्ते को तोड़ने का फैसला भी उन्हीं का था। भविष्य में हम साथ आएंगे या नहीं, यह फैसला भी उन्हीं का होगा। मेरे और उनके खून में फर्क है, और मैं नहीं मानता कि आने वाले दिनों में हमारे रिश्ते कभी सामान्य हो सकते हैं।
पार्टी में फूट और राजनीतिक संघर्ष का इतिहास
रामविलास पासवान के निधन के बाद, चिराग और पशुपति पारस के बीच पार्टी को लेकर मतभेद बढ़ने लगे। 14 जून 2021 को एलजेपी में बड़ी फूट पड़ी, जब पशुपति पारस ने पांच सांसदों का समर्थन हासिल कर लिया और चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा कर दी। इसके बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई।
चिराग पासवान की पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और पशुपति पारस का हाथ खाली रह गया। 15 नवंबर को चिराग को पार्टी का पुराना दफ्तर भी मिल गया।
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