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राबड़ी देवी ने मांगा अलग राज्य, गर्माई राजनीति

बीजेपी-नीतीश ने साधी चुप्पी

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सिटी पोस्ट लाइव

पटना: एक ज़माना था जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव कहा करते थे कि बिहार उनकी लाश पर बंटेगा और आज उनकी धर्मपत्नी और बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने बिहार को बांटकर एक अलग राज्य बनाने की मांग केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार से कर दी है।

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने मिथिलांचल को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की है। बिहार विधान परिषद में मैथिली भाषा पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह प्रस्ताव रखा और बीजेपी से इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की अपील की। आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि मिथिला क्षेत्र के लोग लंबे समय से एक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।

राबड़ी देवी ने यह बयान विधान परिषद में शीतकालीन सत्र के दौरान दिया। इस समय सत्ता पक्ष मैथिली भाषा को संविधान में शामिल किए जाने पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहा था, तभी राबड़ी देवी ने कहा कि आपने मैथिली भाषा को सम्मान दिया, यह अच्छी बात है, लेकिन मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग को भी स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बयान को मीडिया से बातचीत में भी दोहराया। राबड़ी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गर्मा सकती है।

मिथिलांचल राज्य की मांग का इतिहास

मिथिलांचल को अलग राज्य बनाने की मांग का इतिहास काफी पुराना है। यह मांग 1912 में उठी थी, जब बंगाल से बिहार को अलग किया गया था। इसके बाद से यह मांग निरंतर उठती रही, खासकर झारखंड के गठन के बाद इस मुद्दे को और मजबूती मिली। कई बार पटना और दिल्ली में इस मुद्दे पर प्रदर्शन भी किए गए हैं।

राजनीतिक हलचल

राबड़ी देवी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दल सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सत्ताधारी दल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। चुनाव नजदीक आने के कारण सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं।

राजनीतिक रणनीति?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि राबड़ी देवी का यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। वे मैथिली भाषी समुदाय से समर्थन प्राप्त करने की कोशिश कर रही हैं। यह देखना होगा कि उनकी यह रणनीति कितनी सफल होती है। राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस हो सकती है।

 

 

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