क्या खत्म हो गया लालू यादव का जमाना?

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पटना: बिहार में विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में आरजेडी की करारी हार हुई है। आरजेडी के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि पार्टी का आधार वोट बैंक खिसकता दिख रहा है। मुस्लिम और यादव पर भी अब राजद का ऐसा प्रभाव नहीं दिख रहा जैसा कभी लालू यादव का दिखा करता था। इसके साथ ही एकबार फिर इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या लालू यादव का ज़माना खत्म हो गया? क्या अब लालू यादव का करिश्मा पुराने दिनों की बात हो गई।

इस बार चार सीटों पर हुए उपचुनाव में जदयू ने मुस्लिम और यादव वोटरों में भी सेंधमारी की। लंबे समय के बाद लालू प्रसाद यादव खुद चुनाव प्रचार में उतरे, लेकिन वे अपना पुराना करिश्मा नहीं दिखा पाए। बात सिर्फ़ बिहार की ही नहीं है। झारखंड के कोडरमा विधानसभा में लालू यादव ने प्रचार किया, लेकिन यहां से भी उनकी पार्टी चुनाव हार गई। लालू के करीबी सुभाष यादव का चुनाव हारना यह बताता है कि सुभाष को लालू की जनसभाओं का कोई ज़्यादा लाभ नहीं मिला।

बता दें कि लालू यादव लंबे समय से सेहत व दूसरी वजहों से चुनाव प्रचार से अलग रहे थे। लंबे अरसे के बाद इस बार वे चुनाव प्रचार करने निकले, लेकिन कोई ज़्यादा असर नहीं दिखा पाए। झारखंड में महागठबंधन की लहर चली पर जिस कोडरमा सीट को लेकर लालू ने पसीना बहाया वहां उनके करीबी सुभाष यादव चुनाव हार गए। लालू यादव गया के बेलागंज भी पहुंचे लेकिन यहां भी 33 साल से पार्टी का गढ़ रही बेलागंज सीट से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।

सबसे बड़ी बात यह हुई कि बेलागंज सीट पर मुस्लिम मतदाताओं ने भी लालू की बात नहीं सुनी और प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के प्रत्याशी अमजद को अच्छी-खासी संख्या में वोट कर दिया। जो लोग लालू के करिश्मे को जानते हैं उन्हें पता है कि अगर किसी सीट पर लालू प्रचार के लिए चले जाते थे, तो उस प्रत्याशी को यह भरोसा हो जाता था कि उसे मुस्लिम और यादव वोट तो मिलेंगे ही मिलेंगे, लेकिन अब यह होता नहीं दिख रहा। आंकड़े बताते हैं कि बेलागंज में जदयू को भी मुस्लिम और यादव वोटरों से वोट मिले हैं। यह निश्चित रूप से आरजेडी के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

 

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