सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रशांत किशोर अपनी राजनीतिक ताकत आजमाने की तैयारी में हैं. विधान सभा चुनाव के पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है ईन चार विधान सभा सीटों का उप-चुनाव.इसके परिणाम से ये तय होगा कि लोकसभा चुनाव जैसा ही परिणाम होगा जिसमें एनडीए ने बाजी मारेगी या फिर महागठबंधन लोकसभा चुनाव परिणाम के झटके से निकल कर एनडीए को झटका देगा या फिर प्रशांत किशोर किसका खेल बिगाड़ देगें. प्रशांत किशोर जो लगातार बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है, उन्होंने भी उपचुनाव में दो सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है.
प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार में जन सुराज यात्रा पर निकले हुए हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि बेलागंज और इमामगंज में उपचुनाव होने वाला है. इसमें जनसुराज पार्टी भी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन चुनाव 2 अक्टूबर के बाद होगा तब. दरअसल, इसके पीछे प्रशांत किशोर ने साफ किया कि 2 अक्टूबर के बाद जन सुराज पार्टी चुनाव क्यों लड़ सकती है, अगर 2 अक्टूबर के पहले चुनाव होता है तो जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार क्यों नहीं चुनाव लड़ सकते हैं. प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि वो अपनी राजनीतिक पार्टी जनसुराज की घोषणा 2 अक्टूबर को करेंगे और जब पार्टी की घोषणा हो जाएगी तब पार्टी अपने बैनर के तले उम्मीदवार उतारेगी.
जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ये भी जोर देकर कहते हैं कि 2 अक्तूबर के बाद अगर चुनाव होगा तो निश्चित तौर पर चुनाव लड़ा जाएगा. लेकिन, अगर 2 अक्तूबर से पहले चुनाव होता है तो जनसुराज के साथी अगर मिल कर तय करते हैं कि चुनाव लड़ना है तो जन सुराज से जुड़े किसी निर्दलीय साथी को समर्थन देकर चुनाव लड़ाया जा सकता है. जाहिर है प्रशांत किशोर के इस घोषणा के बाद बिहार के सियासी हलके में हलचल तो मचनी ही थी. उपचुनाव परिणाम में जन सुराज अगर उतरता है तो उसकी पूरी कोशिश होगी कि बिहार के मतदाताओं को एक तीसरा विकल्प दे और इसके लिए प्रशांत किशोर पूरी तैयारी करने में लगे हुए हैं.
PK की कोशिश होगी कि अपने मजबूत उम्मीदवार को मैदान में चुनाव में जीत हासिल करे जो इतना आसान नहीं है. बावजूद इसके अगर उनके उम्मीदवार ने तगड़ा मुकाबला किया तो इसका बड़ा मैसेज आने वाले विधान सभा चुनाव में मिलेगा. यही नहीं PK के पार्टी के प्रदर्शन से बिहार के दोनों बड़े गठबंधन को भी नई रणनीति बनानी होगी जिससे बिहार की राजनीति में भी बड़े बदलाव होने की संभावना बढ़ जाएगी. वहीं, उपचुनाव परिणाम में PK के उम्मीदवार अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हुए तो आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के लिए राह आसान नहीं होगा, जहां अभी तक एनडीए और महागठबंधन में ही आमने-सामने मुकाबला होते रहा है.
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