सिटी पोस्ट लाइव : एक जमाने में सीमांचल की हृदयस्थली माने जाने वाला पूर्णिया संसदीय क्षेत्र हर चुनाव में सूर्खियों में रहता था.40 पहले यहाँ कांग्रेस का डंका बजता था. लेकिन अब पिछले 40 सालों से कांग्रेस यहां से जितने का असफल प्रयास करती रही है.पूर्णिया संसदीय क्षेत्र का वोट समीकरण जिला के वोट समीकरण से कुछ भिन्न है. जिले में पड़ने वाले अल्पसंख्यक बाहुल्य अमौर व बायसी विधानसभा क्षेत्र किशनगंज संसदीय क्षेत्र का हिस्सा होता है.
पूर्णिया संसदीय क्षेत्र में पूर्णिया सदर, कसबा, बनमनखी, धमदाहा व रुपौली के साथ कटिहार जिले का सुरक्षित कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र जुड़ जाता है. कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र यहां की जीत-हार पर बड़ा असर भी डालती है.इस बार ऐन चुनाव पर जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया है.पप्पू यादव यहाँ से चुनाव लड़ने की तैयारी तो कर चुके हैं.लेकिन लालू यादव इस सीट से बीमा भारती को उतारने का फैसला ले चुके हैं.JDU विधायिका बिमा भारती RJD में इसीलिए शनिवार को शामिल भी हो चुकी हैं.
पूर्णिया संसदीय क्षेत्र के लिहाज से कांग्रेस का अतीत समृद्ध रहा है. सन 1952 से लेकर सन 1971 के चुनाव तक कांग्रेस का लगातार कब्जा रहा है. सन 1977 के चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के लखन लाल कपूर विजयी हुए.इस सीट पर पराजय का पहला ब्रेक कांग्रेस को लगा था. यद्यपि 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने माधुरी सिंह को यहां से मैदान में उतारा और वे विजयी रही.सन 1984 के चुनाव में भी वे विजयी रही.लेकिन ये कांग्रेस की आखिरी जीत साबित हुई.2019 के आम चुनावों में जदयू के संतोष कुशवाहा ने 632924 मतों के साथ एक बड़ी जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को हराया था. कांग्रेस के प्रत्याशी रहे उदय सिंह को 369463 वोट मिले थे. निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले सुभाष कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे.उन्हें 31795 वोट मिले थे.