सिटी पोस्ट लाइव : नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी नेताओं के नरम पड़ते तेवर, पीएम मोदी के बिहार दौरे का आगे बढ़ना और इस बीच राज्य सभा के उप सभापति, JDU नेता लेकिन पीएम मोदी के बेहद करीबी हरिवंश का पटना पहुंचना बिहार की राजनीति के लिए बेहद खास है.राजनीतिक गलियारे में नीतीश कुमार के फिर से बीजेपी के साथ जाने की अटकलें तेज हो गई हैं. नीतीश कुमार इंडी गठबंधन के सूत्रधार जरुर हैं लेकिन स्टीयरिंग सीट पर कांग्रेस के बैठ जाने और कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी नहीं मिलने से नाराज हैं.
नीतीश कुमार भाजपा के साथ लंबी पारी खेल चुके हैं. केंद्र से लेकर बिहार तक भाजपा से उनकी नजदीकी दो दशक तक रही है. भाजपा नेताओं की पुण्यतिथि या जयंती समारोह आयोजित करने में नीतीश तनिक भी संकोच नहीं करते. पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठने में भी उन्हें संकोच नहीं होता. सीधे शब्दों में कहें तो नीतीश के दोनों हाथ में लड्डू है. उनके एक हाथ में इंडी अलायंस है तो दुसरे हाथ में एनडीए. अब उनका मन कि वे किस हाथ का लड्डू इस बार लोकसभा चुनाव में ग्रहण करते हैं.
लालू यादव कांग्रेस को ज्यादा सीटें देकर नीतीश कुमार की लोक सभा की कुछ सीटें छिनना चाहते हैं .उन्हें या फिर कांग्रेस को उनके ऊपर भरोसा नहीं है.ऐसे में नीतीश कुमार अपनी सिटिंग सीटों को लेकर भी चिंतित हैं.वे भी खूंटा गाड़ चुके हैं. जेडीयू के नेता कहते हैं कि 16 सीटें तो उनकी जीती हुई हैं। लड़ाई तो 17 पर जेडीयू ने लड़ी थी. इसलिए 17 से कम पर मानने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. बिहार में इंडी अलायंस में छह दल शामिल हैं. सीट बंटवारे में नीतीश को मुश्किल नजर आ रही है. लेफ्ट की दो पार्टियों ने आठ सीटें मांगी हैं. सीपीआई (एमएल) को पांच सीटें तो सीपीआई को तीन सीटें चाहिए. कांग्रेस 11 सीटों पर अड़ी है. ऐसे में 21 सीटें बचती हैं. इन्हीं सीटों में आरजेडी और जेडीयू भी हैं.
इंडी अलायंस में नीतीश की खटपट के बाद भाजपा ने चुप्पी साध ली है.नीतीश पर अब हमले नहीं हो रहे. केंद्रीय नेतृत्व खामोश है. भाजपा के स्थानीय नेता भी नीतीश की व्यक्तिगत आलोचना से बच रहे हैं. नीतीश की इंडी अलायंस के प्रति अनिष्ठा का ख्याल कर बीजेपी ने यह रणनीति अपनाई है. भाजपा को उम्मीद है कि पिछली बार की तरह नीतीश और भाजपा के साथ आ सकते हैं. यह भी संभव है कि इस बाबत उनकी बातचीत भाजपा से चल भी रही हो.इस बीच प्रधानमंत्री के बिहार दौरे के आगे बढ़ जाने और आज हरिवंश के पटना पहुँचने को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं.
भाजपा अगर पूर्व की तरह लोकसभा की 17 सीटें और सीएम की कुर्सी सुरक्षित कर दे तो नीतीश झटके में पाला बदल सकते हैं. भाजपा सीएम की कुर्सी मौजूदा कार्यकाल के लिए दे सकती है. सीटें पहले जितनी देने में उसे आपत्ति है क्योंकि इसबार उसके साथ उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग पासवान भी हैं.लेकिन पिछली बार की तरह इस बार कोई दबंग पार्टनर बीजेपी के साथ नहीं है. यही वजह है कि भाजपा को नीतीश की जरुरत मह्सुश हो रही है. लोकसभा चुनाव ही बीजेपी के लिए 2025 के विधानसभा चुनाव का मार्ग प्रशस्त करेगा.