नीतीश को संयोजक क्यों नहीं बना पा रही कांग्रेस.

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सिटी पोस्ट लाइव : विपक्षी एकता के सूत्राधार बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार को कांग्रेस संयोजक क्यों नहीं बना रही है? दरअसल  इसे समझने के लिए अप्रैल 2022 में दिए कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश के उस बयान पर गौर करना होगा. जयराम रमेश ने कहा था- ‘विपक्षी एकता का मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस कमजोर हो जाए. हमारे सहयोगियों को यह समझना चाहिए कि एक मजबूत कांग्रेस ही विपक्षी एकता का स्तंभ होगी.  कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी संयोजक बनाने के सवाल पर चुटकी लेने लगे हैं. वे इस सवाल पर कहते हैं- श्यह सवाल कौन बनेगा करोड़पति जैसा है.‘

 

सियासी गलियारे की चर्चा के मुताबिक नीतीश को इंडी अलायंस का संयोजक बनाने में कांग्रेस या किसी अन्य दल को कोई एतराज नहीं है. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ही उनकी राह में रोड़ा बनी हुई हैं. ममता को गांधी परिवार से पुरानी खुन्नस है. बंगाल में कांग्रेस को वे बीजेपी के समान अपना दुश्मन मानती रही हैं. इसी खुन्नस के कारण उन्होंने पहले कांग्रेस रहित विपक्ष की अवधारणा बनाई थी, जिस पर शरद पवार की आपत्ति के कारण अमल नहीं हो सका. अलायंस की चौथी बैठक में पीएम कैंडिडेट के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित कर ममता ने राहुल या गांधी परिवार की गाड़ी अंटकाई, वहीं नीतीश की कांग्रेस से नजदीकी की सजा भी उन्हें यह कह कर दे दी कि संयोजक की जरूरत ही नहीं. यही वजह रही कि नीतीश की नाराजगी की खबरें मीडिया में आने पर उद्धव ठाकरे ने नीतीश के बाद सीधे ममता से बात करने की पहल की.

 

नीतीश कुमार को सबकुछ  मालूम है. यही वजह है कि अपने बूते हरियाणा, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रैली की घोषणा करने वाले नीतीश कुमार वाम मोर्चा के कार्यक्रम में शामिल होने कोलकाता जाने की सहमति दे चुके हैं. नीतीश कुमार 17 जनवरी को पूर्व सीएम ज्योति बसु की पुण्यतिथि पर आयोजित सामाजिक अध्ययन कार्यक्रम में शामिल होंगे. नीतीश और ममता के बीच अघोषित तल्खी की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर (पीके) अब नीतीश के राजनीतिक विरोधी बन गए हैं. प्रशांत बिहार में नीतीश की घटती ताकत के बारे में बताते भी रहे हैं. नीतीश की कांग्रेस से नजदीकी भी ममता को खल ही रही होगी. बहरहाल, जिस वाम मोर्चा से लंबी लड़ाई के बाद ममता ने बंगाल की सत्ता हासिल की है, उसी वाम मोर्चा के पक्ष में नीतीश का खड़ा होना, दोनों के रिश्तों में आई तल्खी का एहसास करा रहा है.

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