सिटी पोस्ट लाइव : इंडिया गठबंधन के सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री को किनारे कर खुद स्टीयरिंग सीट पर बैठी कांग्रेस संकट में है.चार में से तीन राज्यों में करारी हर के बाद सहयोगी दलों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है.यहीं वजह है कि बिना देर किये 3 दिसंबर के चुनाव के नतीजे के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष ने I.N.D.I.A. गठबंधन की अगली बैठक की घोषणा कर दी. घटक दलों की बेरुखी के कारण, बैठक संसदीय दलों के नेताओं की बैठक के रूप में हुई.
3 दिसंबर को चार राज्यों में हुए चुनाव के नतीजे आने के बाद पहली प्रतिक्रिया में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने I.N.D.I.A. गठबंधन को याद किया. जल्द ही यह घोषणा भी कर दी गई कि गठबंधन की अगली बैठक दिल्ली में 6 दिसंबर को होगी. लेकिन इस बठक में आने से ममता बनर्जी,अखिलेश यादव और नीतीश कुमार ने असमर्थता जाहिर कर दी.घटक दलों की बेरुखी को देखते हुए पार्टी प्रमुखों की बैठक दिसंबर के तीसरे सप्ताह में रखने का ऐलान करना पड़ा.तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने तो पहले ही कह दिया कि वह दूसरे कामों में बिजी हैं, इसलिए I.N.D.I.A. की बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगी. JDU नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक के लिए उपलब्ध नहीं थे.अखिलेश यादव ने भी आने से मना कर दिया .
I.N.D.I.A. में शामिल कुछ सहयोगी दलों के नेताओं के जो बयान आए हैं, उन्हें देखकर लगता है कि वे कांग्रेस से नाराज हैं. शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर कांग्रेस अन्य दलों को साथ लेकर लड़ी होती तो नतीजे कुछ और होते. इन दलों को लग रहा है कि कांग्रेस ने इस उम्मीद में गठबंधन से दूरी बना ली थी कि इन विधानसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन अच्छा होगा, जिसके बल पर आगे वह अपनी मनमानी कर सकेगी. इसलिए अब ये दल दिखाना चाहते हैं कि गठबंधन की जरूरत उनसे ज्यादा कांग्रेस को है.
तृणमूल कांग्रेस कह रही है कि ये नतीजे बीजेपी की जीत नहीं बल्कि कांग्रेस की हार है. आम आदमी पार्टी ने भी बिना देर किए खुद को उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी घोषित कर दिया. इन दलों की कोशिश यह बताने की है कि कांग्रेस I.N.D.I.A. गठबंधन को नेतृत्व देने के योग्य नहीं है और वे गठबंधन के बेहतर लीडर हो सकते हैं. दूसरी ओर शिवसेना और JDU जैसे दल हैं, जिनकी दिलचस्पी कांग्रेस नेतृत्व को इस बात के लिए मजबूर करने तक सीमित लगती है कि सभी दलों को समुचित महत्व देते हुए आगे बढ़ा जाए.
Comments are closed.