सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में नशे की समस्या तेजी से बढ़ रही है. पिछले दो-तीन साल में ब्राउन शुगर, स्मैक, हिरोइन, आदि का नशा करने वाले मानसिक मरीजों की संख्या में 100 गुना इजाफा हुआ है. पहले महीने में एक से दो मरीज आते थे, लेकिन अब सप्ताह में 4 से 5 मामले सामने आ रहे हैं. इसमें युवा और किशोर की संख्या के साथ महिलाओं की संख्या भी 40 फीसदी के आस-पास है. इसमें किशोरों की संख्या अधिक है.
बिहार के सभी जिलों से नशे का सेवन करने वाले मरीज मानसिक रुप से बीमार होकर आ रहे हैं. जल्द शासन के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो बिहार को उड़ता पंजाब बनने से कोई रोक नहीं सकता है. आईएमएस के अनुसार कुछ साल पहले तक मानसिक रोगी बहुत कम आते थे, लेकिन अब रोज जिले के ओपीडी में 80 से 90 मरीज आ रहे हैं. उनमें से अधिकतर ऐसे मरीज हैं जो ब्राउन शुगर का सेवन करते थे. इसके अलावा नशीले पदार्थों के सेवन से बीमार मरीज भी आ रहे हैं.
बिहार में मानसिक रोगों के ईलाज की कोई ख़ास व्यवस्था है नहीं. ऐसे में अमीर तबके के मरीज तो निजी अस्पताल में इलाज करवा लेते हैं. लेकिन, गरीब तबके के मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है. मानसिक रोग का इलाज भी मंहगा होता है. प्रशासनिक स्तर पर जल्द पहल नहीं हुआ तो बिहार को उड़ता पंजाब बनने से रोकना मुश्किल हो जाएगा.शराबबंदी के बाद युवाओं में चरस, अफीम की लत तेजी से बढती जा रही है.
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