City Post Live
NEWS 24x7

बिहार को बदलने के लिए “सिर्फ एक वंदा काफी है”.

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव : “सिर्फ एक वंदा काफी है” ये साबित कर दिया है बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर प्रधान सचिव के.एके. पाठक ने.पाठक ने अकेले बिहार के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल दी है.  बिहार में कुछ समय पहले तक सरकारी स्कूलों की कल्पना करने पर एक अलग ही तरह की तस्वीर उभरती थी. मास्टर जी कुर्सी पर ऊंघ रहे हैं और बच्चे क्लास में पढ़ाई के बजाए शोर मचा रहे हैं. किसी स्कूल में भैंसों का तबेला तो किसी स्कूल के बाहर भूसों का ढेर .लेकिन  केके पाठक के आने के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है.

 

के.के. पाठक से सबसे पहले  स्कूलों की व्यवस्था सुधारने पर ध्यान दिया.। इसके बाद शिक्षकों को समय पर स्कूल आने और पढ़ाने का टास्क दिया. अब वो शिक्षकों  को उनके कर्तव्य की याद दिला रहे हैं.उन्हें  मानसिक तौर पर बच्चों के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.उनका कहना है कि   अगर हर शिक्षक अपने स्कूल के  5-5 बच्चों को भी ‘गोद’ ले लें तो इनका भविष्य संवर जाएगा.
गोद लेने का मतलब ये कि इन बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेवारी उस शिक्षक पर होगी.

 

ये सच है कि केके पाठक गुस्सैल हैं. गुस्से में कई बार वो अनर्गल भी बोल जाते हैं, इसके वीडियो भी वायरल हुए हैं. लेकिन गांधी मैदान में सीएम नीतीश के संबोधन के दौरान उनका नाम आते ही नवनियुक्त शिक्षकों ने ताली की गड़गड़ाहट से माहौल गुंजा दिया. हम केके पाठक की यूं ही तारीफ नहीं कर रहे, एक अकेला शख्स उस व्यवस्था को बदलने निकला है जो काफी समय से बदहाल थी. इस पर न किसी अफसर ने ध्यान दिया और न किसी मंत्री ने. लेकिन एक बंदे ने दिखा दिया कि अगर खुद से ठान लिया जाए तो सिस्टम क्या, सिस्टम के अंदर तक घुस कर एक-एक ‘मशीन’ के पेच-पुर्जे ठीक कर दे.

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

Comments are closed.