सिटी पोस्ट लाइव : बिहार (Bihar) सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में अपने भाषण के दौरान फीसदी करने का प्रस्ताव रख दिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने कहा है राज्य में एससी को 20 प्रतिशत, एसटी को 2 प्रतिशत, ओबीसी और ईबीसी मिलाकर 43 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा.
केंद्र सरकार ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए पहले से ही 10 प्रतिशत का कोट निर्धारित कर रखा है. ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने बड़ी चुनौती आने वाली है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वाले मुस्लिम और अगड़ी जातियों के गरीब परिवारों को आरक्षण का लाभ दिलाना है. किस फॉर्मूले के तहत गरीब भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत और मुस्लिम में अगड़ी जातियों के गरीब परिवारों आरक्षण का लाभ देने की चुनौती है.
सामान्य जातियों में भूमिहार जाति का हाल सबसे बुरा है. पहले इनके बारे में कहा जाता था कि जमीन सबसे ज्यादा यही जाति के लोग जोतते हैं. लेकिन, आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में उनकी स्थिति और दयनीय हो गई है. भूमिहार जाति में 27.58 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं. बिहार जातिगत सर्वे रिपोर्ट 2023 के मुताबिक राज्य में अति पिछड़ा और भूमिहार जाति में गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है.
बिहार सरकार के आंकडों के मुताबिक राज्य में 34.13 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 6000 रुपये है. ताज्जुब की बात यह है कि इसमें पिछड़े, अति पिछड़े और एससीएसटी के साथ-साथ सवर्ण भी शामिल हैं. राज्य में 29.61 प्रतिशत परिवार की मासिक आय 6000 से 10000 के बीच है. यानी बिहार में 10 हजार तक प्रति महीना आमदनी वाले परिवारों की संख्या तकरीबन 64 प्रतिशत है.
18.06 प्रतिशत परिवारों की आमदनी 10 हजार से ज्यादा और 20000 हजार से कम है. 20 से 50 हजार के मासिक आमदनी वाले परिवारों की संख्या 9.83 प्रतिशत है. जबकि, 50 हजार से ज्यादा मासिक आमदनी वाले परिवारों की संख्या 3.90 प्रतिशत है. हाल में हुए सर्वे में राज्य के 4.47 प्रतिशत लोगों ने अपने परिवार की आय की जानकारी नहीं दी. यानी बिहार देश के कई राज्यों जैसे झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और असम जैसे राज्यों से भी पीछे हो गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की एक तिहाई आबादी गरीब है.