सिटी पोस्ट लाइव : सोमवार 6 नवंबर से बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है.इस छोटे से सत्र के दौरान जाति आधारित गणना और शिक्षक बहाली को लेकर हंगामा होने की उम्मीद है. सरकार और विपक्ष दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा है.सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार इस अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहा है.मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार की इन दोनों उपलब्धियों में गड़बड़ी का आरोप लगा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि जाति आधारित गणना के आर्थिक आंकड़ों को सरकार सदन में रखेगी. अगर यह आंकड़ा सदन में पेश किया जाता है तो, जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की भी मांग उठेगी.
विधानमंडल के सत्र के लिए प्रश्नकाल निर्धारित हैं. अबतक सरकार की ओर से तीन विधेयकों के पेश होने की सूचना विधानसभा को मिली है.जाति आधारित गणना और शिक्षक बहाली को लेकर सदन के बाहर वार-पलटवार का दौर जारी है. पांच दिनों के शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में भी ऐसा ही वार-पलटवार देखने को मिल सकता है. जाति आधारित गणना को लेकर विपक्ष का आरोप है कि इसमें कुछ जातियों की संख्या घटा या बढ़ा दी गई है.शिक्षक नियुक्ति प्रकरण में विपक्ष नौकरी पाए लोगों की संख्या पर प्रश्न उठा रहा है. नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली का आरोप भी लगा रहा है. मुख्य विपक्षी दल ने अपराध में वृद्धि को भी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है.
जाति आधारित गणना के आर्थिक आंकड़ों को लेकर आम लोगों की नजर भी सत्र पर टिकी रहेगी. पिछड़े और अति पिछड़े समाज के लोग देखना चाहेगें कि सरकार जातियों की संख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने के बारे में क्या विचार रखती है. गणना के आर्थिक पक्ष को सदन में पेश करने के लिए जरूरी तैयारी चल रही हैसत्र में सामान्य प्रशासन और वित्त वाणिज्यकर के अलावा कुछ अन्य विभागों की ओर से तैयार विधेयकों को मंजूरी मिलेगी. ये विधेयक सात और आठ नवंबर को पेश किए जाएंगे. सत्र के पहले दिन द्वितीय अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा, जिसपर नौ को विमर्श होगा.