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हेराफेरी करने वाले बिल्डर-डीलर को तगड़ा झटका.

खरीद-बिक्री की शर्तों को पूरा करने का पटना की उपभोक्ता आयोग ने दिया आदेश.

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सिटी पोस्ट लाइव : फ्लैट हो या फिर  वाहन दोनों की खरीददारी में आजकल बड़ा जोखिम है.बिल्डर पैसा लेकर फ्लैट नहीं देता तो कार डीलर नई कार की कीमत लेकर सेकंड हैण्ड कर थमा देता है.ऐसे ही मामले उपभोक्ता जिला कार्यालय के सामने आई है. सौदे की पूरी राशि लेने के बाद भी बिल्डर फ्लैट देने से मुकर गया.दुसरे मामले में  लगभग 14 लाख रुपये लेकर वाहन एजेंसी ने खराब गाड़ी पकड़ा दी.

 

जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत पहुंची तो बिल्डर के साथ डीलर को तगड़ा  झटका लगा. अब दोनों खरीद-बिक्री की शर्तों के अनुरूप देनदारी पूरी करेंगे. अंजली श्रीवास्तव व उनके पति प्रमोद कुमार वर्मा ने इंपीरियल फाउंडेशन के विरुद्ध शिकायत की थी.वे दोनों झारखंड में रामगढ़ जिला में माडूं थाना क्षेत्र अंतर्गत केडला गांव के मूल निवासी हैं. पटना के नेहरू नगर में गणेश विहार अपार्टमेंट में वर्ष 2011 में उन दोनों ने 18 लाख में 12 सौ वर्ग फीट के फ्लैट का अनुबंध किया. भुगतान के लिए एक्सिस बैंक से ऋण स्वीकृत हुआ.

 

12 लाख रुपये बैंक खाते में गए और चार लाख नकद दिए गए. बाकी के दो लाख स्वामित्व मिल जाने पर दिए जाने थे. हालांकि, 16 लाख रुपये पा जाने के बाद इंपीरियल फाउंडेशन उन्होंने टरकाने लगा. उसने वह फ्लैट किसी और ग्राहक को बेच दिया.आयोग के अध्यक्ष विधु भूषण पाठक व सदस्य रजनीश कुमार ने इंपीरियल फाउंडेशन को दोषी पाया. निर्देश दिया कि अनुबंध के अनुसार अविलंब फ्लैट दिया जाए, अन्यथा शिकायत की तारीख से 12 प्रतिशत ब्याज जोड़कर कुल राशि वापस की जाए. शिकायत जून 2013 में दर्ज हुई थी और अब फैसला आया है.

 

पटना में किदवईपुरी के परमजीत सिंह हंसपाल की शिकायत महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी और न्यू बाइपास स्थित करण आटोमोबाइल्स के विरुद्ध थी. वर्ष 2014 में 1375844 रुपये में उन्होंने एक चारपहिया वाहन लिया था. एक लाख किलोमीटर परिचालन के लिए तीन वर्ष की वारंटी थी.परमजीत की शिकायत थी कि गाड़ी अंदर से बहुत ही खराब थी. संभवत: पुरानी रही हो. उसका कभी एयरबैग फेल किया, कभी एक्सल टूटा तो कभी गियर बाक्स खराब हो गया.

 

विद्वान निर्णयकर्ताओं ने पाया कि बेशक कंपनी ने हर शिकायत पर गाडी की मरम्मती  की, लेकिन वारंटी की अवधि में एयरबैग का खराब हो जाना गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. उपरोक्त बेंच ने कंपनी और एजेंसी को छह प्रतिशत ब्याज के साथ बतौर हर्जाना सवा लाख रुपये देने का आदेश दिया. ब्याज की गणना शिकायत की तारीख (26 सितंबर, 2016) से होगी. इसके अलावा परमजीत को मुकदमेबाजी में खर्च हुए 10 हजार रुपये भी मिलेंगे.

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