सिटी पोस्ट लाइव :जातीय जनगणना को लेकर विरोध जारी है.अब तो मुस्लिम समाज से भी आवाज उठने लगी है.मुस्लिम समाज का कहना है कि जातिगत सर्वे से मुसलमानों की आबादी सामने आ गई. बिहार में मुसलमान जाति को तीन समूहों में बंटे हुए हैं. इसमें अशराफ़, अजलाफ़, और अरज़ाल है. इनमें अलग-अलग जातियां शामिल हैं.इसमें अशऱाफ में अगड़ी जाती के लोग आते हैं. अजलाफ़, और अरज़ाल में दलित और पिछड़े आते है.
हिंदुओं में जैसे ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र वर्ण होते हैं, वैसे ही मुसलमानों में अशराफ़,अजलाफ़ और अरज़ाल है. संख्या के हिसाब से अजलाफ़ और अरज़ाल पिछड़े और दलितों के 17.9 में से लगभग 13 प्रतिशत है. जब की भागेदारी उतनी नही है. सरकार के इस आंकड़े ने बिहार के मुसलमानों में अगड़े पिछड़े की लड़ाई छेड़ दी है.नसीम ने कहा कि अगड़ी जाति के मुसलमानों को तीन वर्गों में बंटे हैं. शेख और पठान सैयद. अगड़ी जाति में सबसे बड़ी संख्या शेख मुसलमानों की है. इसके बाद पठान और फिर सैयद आते हैं. इनके अलावा बाकी पिछड़े या और दलित मुस्लिम हैं. इसमें मोमिन, अंसारी मदरिया, सुरजापुरी,और मलिक मुस्लिम शामिल हैं। इसमें संख्या के हिसाब से मोमिन, अंसारी सब से ज्यादा है.
मुस्लिम समाज का कहना है कि हिस्सेदारी के आधार पर उनकी भागेदारी बहुत कम है. नीतीश और तेजस्वी के इस सरकार में अभी फिलहाल 5 मुसलमान मंत्री है जिसमें सिर्फ एक ही पिछड़ा समाज से है.पिछड़ों को भी उनकी संख्या के हिसाब से भागीदारी हर क्षेत्र में दी जानी चाहिए.जाहिर है केवल हिन्दुओं में ही नहीं बल्कि मुस्लिम समाज में भी अब जनगणना के आधार पर हिस्सेदारी के हिसाब से भागेदारी की मांग उठने लगी है.