मोबाइल के जरिये जेल से गैंग ऑपरेट नहीं कर पायेगें अपराधी.
बिहार के 15 जेलों में लगेंगे कॉल ब्लॉकिंग टावर, अब कैदी नहीं कर सकेंगे मोबाइल फोन पर बात.
सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में अपराधिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं.अपराध का ग्राफ बढाने में जेल में बंद कैदियों का भी अहम् योगदान है. कहने के लिए तो वो जेल में कैद हैं लेकिन वो मोबाइल फ़ोन के जरिये जेल से ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहे हैं.जेल में मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए जेलों में टावर ऑफ हारमोनिक कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम (टीएचसीबीएस) लगाने का फैसला लिया गया है.
गृह विभाग ने पहले चरण में आठ केंद्रीय कारा समेत 15 प्रमुख जेलों में इसे लगाने की स्वीकृति दी है. इस सिस्टम को लगाने के बाद जेल के अंदर निश्चित परिधि में मोबाइल नेटवर्क को ड्राप किया जा सकेगा.इसके अलावा, जेल के अंदर सामान ले जाने की चौकसी भी बढ़ाई जाएगी. सभी जेलों में तलाशी बूथ स्थापित करने की योजना को मंजूरी दी गयी है.इसके तहत कैदियों एवं अन्य की नियमित जांच को लेकर स्कैनर व फ्रिस्किंग मशीनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी. टेंडर की प्रक्रिया पूरी होते ही इसे चार से छह माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी दूरसंचार विभाग को जेल परिसरों और उसके आसपास के क्षेत्रों में सिग्नल की क्षमता और गुणवत्ता का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था.मूल्यांकन के आधार पर, पाया गया कि जेल परिसर में अभी भी सिग्नल की उपलब्धता और अनधिकृत संचार की संभावनाएं हैं. आदर्श केंद्रीय कारा बेउर, बक्सर केंद्रीय कारा, भागलपुर केंद्रीय कारा, भागलपुर विशेष केंद्रीय कारा, शहीद खुदीराम केंद्रीय कारा मुजफ्फरपुर, केंद्रीय कारा गया, केंद्रीय कारा मोतिहारी, केंद्रीय कारा पूर्णिया, छपरा जिला कारा, दरभंगा जिला कारा, सहरसा जिला कारा, मुंगेर जिला कारा, फुलवारीशरीफ जिला कारा, दानापुर उप-कारा, पटना सिटी उप-कारा में सबसे पहले ये व्यवस्था लागू की जा रही है.
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